बांग्लादेश में एक हिंदू नागरिक दीप चन्द्र दास की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या और फिर शव को जला दिए जाने की घटना केवल एक आपराधिक वारदात नहीं है। यह घटना धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा में राज्य की विफलता, मानवाधिकारों के खुले उल्लंघन और कानून के शासन के पतन की गंभीर चेतावनी है। अक्सर यह तर्क दिया जाता है कि ऐसी घटनाएँ किसी देश का आंतरिक विषय होती हैं, किंतु जब किसी व्यक्ति की हत्या उसकी धार्मिक पहचान के कारण की जाती है, तब वह घटना अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय बन जाती है। धर्म के आधार पर की गई हिंसा न तो सीमाओं में बंधी होती है और न ही उसे आंतरिक मामला कहकर अनदेखा किया जा सकता है। भारत जो स्वयं को लोकतंत्र, मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के मूल्यों का समर्थक मानता है, ऐसे मामलों में मौन नहीं रह सकता।
भारत सरकार से यह अपेक्षा की जाती है कि वह बांग्लादेश सरकार के समक्ष इस घटना पर आधिकारिक और स्पष्ट आपत्ति दर्ज कराए। दोषियों के विरुद्ध निष्पक्ष, स्वतंत्र और समयबद्ध जांच की मांग करे। बांग्लादेश में रह रहे हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर ठोस आश्वासन प्राप्त करे। आवश्यकता पड़ने पर इस विषय को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मंचों पर उठाए।।यह किसी धर्म को बढ़ावा देने या राजनीतिक लाभ का प्रश्न नहीं है, बल्कि मानव जीवन की सुरक्षा, समान नागरिक अधिकार और कानून के शासन का मूल मुद्दा है।
यदि भारत ऐसी घटनाओं पर केवल संवेदना प्रकट कर आगे बढ़ जाता है, तो इससे यह संदेश जाएगा कि पड़ोसी देशों में हिंदू अल्पसंख्यकों के विरुद्ध होने वाली हिंसा को चुपचाप स्वीकार किया जा सकता है। यह न तो भारत की ऐतिहासिक भूमिका के अनुरूप है और न ही उसकी नैतिक जिम्मेदारी के चुप्पी को तटस्थता कहना एक भ्रम है। जब निर्दोष लोगों को उनकी पहचान के कारण मारा जाता है, तब चुप रहना अनदेखी और सहमति के बीच की रेखा को धुंधला कर देता है।
भारत सरकार से अपेक्षा है कि वह इस विषय पर भावनात्मक प्रतिक्रियाओं से ऊपर उठकर, राजनयिक दृढ़ता और नैतिक स्पष्टता के साथ कदम उठाए। क्योंकि जब किसी निर्दोष व्यक्ति की हत्या उसकी धार्मिक पहचान के कारण होती है, तब केवल शोक व्यक्त करना पर्याप्त नहीं होता। अब समय आ गया है कि संवेदना से आगे बढ़कर स्पष्ट और ठोस कार्रवाई की जाए।
पुखराज भटेले
संस्थापक — व्यवस्था परिवर्तन
जिला महामंत्री — राष्ट्रीय सनातन सेना भारत
जिला उपाध्यक्ष — श्री परशुराम सर्व ब्राह्मण संघ
बांग्लादेश में हिंदू की हत्या: भारत सरकार से स्पष्ट और ठोस कार्रवाई की आवश्यकता
