मसूद अज़हर: एक आतंकवादी अध्याय का अंत और उसके पीछे का इतिहास

आज जब दुनिया के मोस्ट वांटेड आतंकवादियों में से एक मसूद अज़हर को लेकर कड़ी कार्रवाई की खबरें आ रही हैं, तो यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत के खिलाफ आतंकवाद का एक खौफनाक अध्याय खत्म होने की ओर है। लेकिन इस आतंकवादी की कहानी केवल उसके अंत से नहीं, बल्कि उसके गिरफ्तारी, रिहाई और भारत में किए गए हमलों के इतिहास से भी जानी जानी चाहिए।

मसूद अज़हर की गिरफ्तारी: किस सरकार ने पकड़ा?

29 जनवरी 1994 को मसूद अज़हर ढाका से दिल्ली आते समय इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया। उसके पास पुर्तगाली पासपोर्ट था, और वह खुद को “गुजराती मूल” का बताकर भारत में घुस आया था। लेकिन भारतीय खुफिया एजेंसियों की सतर्कता से वह पकड़ लिया गया।

यह गिरफ्तारी कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में हुई थी, जब पीवी नरसिंहराव भारत के प्रधानमंत्री थे। गिरफ्तारी के बाद वह श्रीनगर और जम्मू की जेलों में रखा गया, लेकिन वहाँ भी वह जेल में बैठकर भारत के खिलाफ कट्टरपंथी गतिविधियों की योजनाएं बनाता रहा।

किस सरकार ने छोड़ा मसूद अज़हर?

दिसंबर 1999 में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 का अपहरण कर उसे कंधार ले जाया गया। यात्रियों की जान बचाने के लिए भाजपा सरकार ने तीन आतंकियों – मसूद अज़हर, मुश्ताक अहमद ज़रगर और उमर शेख – को रिहा करने का फैसला किया।

उस समय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे। विदेश मंत्री जसवंत सिंह खुद इन आतंकियों को लेकर कंधार गए।   इस पूरे ऑपरेशन में रॉ और आईबी के शीर्ष अधिकारी भी शामिल थे। तालिबान द्वारा नियंत्रित अफगानिस्तान के कंधार एयरपोर्ट पर इन आतंकियों को ISI की मौजूदगी में छोड़ा गया।


क्यों छोड़ा गया मसूद अज़हर?

इस रिहाई के पीछे कारण था –
176 यात्रियों की जान।
अपहरणकर्ताओं ने साफ कहा था कि जब तक मसूद अज़हर रिहा नहीं होगा, तब तक वे विमान और यात्रियों को छोड़ेंगे नहीं। उस वक्त जनता का दबाव, यात्रियों की जान की कीमत और सरकार की मजबूरी ने यह कठिन निर्णय लिया।

भारत में मसूद अज़हर ने कितनी बार फैलाया आतंक?

मसूद अज़हर की रिहाई के बाद उसने पाकिस्तान जाकर “जैश-ए-मोहम्मद” नाम से आतंकवादी संगठन खड़ा किया और भारत में कई बड़े हमलों को अंजाम दिया:

2001: भारतीय संसद पर हमला – 9 सुरक्षाकर्मियों और एक माली की मौत।

2005: राम जन्मभूमि हमला – सुरक्षा बलों ने समय रहते आतंकी मार गिराए।

2008: मुंबई हमलों की साजिश में सहयोगी भूमिका।

2016: पठानकोट एयरबेस हमला – 7 जवान शहीद।

2019: पुलवामा आतंकी हमला – 40 CRPF जवान शहीद, यह भारत में हुआ अब तक का सबसे बड़ा आत्मघाती हमला था। इन हमलों में सैकड़ों निर्दोष भारतीयों की जान गई।

क्या अब खत्म हुआ मसूद अज़हर का आतंक?

हाल ही में भारत और अंतरराष्ट्रीय दबावों के चलते पाकिस्तान को मसूद अज़हर पर कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा। मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि उसके कई आतंकी अड्डों को निशाना बनाया गया है, और भारत की RAW ने इस ऑपरेशन में महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी साझा की।

राजनीतिक सवाल: कांग्रेस ने पकड़ा, भाजपा ने छोड़ा?

राजनीतिक दृष्टि से यह मामला हमेशा चर्चा में रहा है। राहुल गांधी समेत विपक्ष कई बार यह सवाल उठा चुका है कि “जिस आतंकी को कांग्रेस की सरकार ने गिरफ्तार किया, उसे भाजपा की सरकार ने क्यों छोड़ा?”

इसका जवाब अक्सर मोदी सरकार यह कहकर टालती रही है कि वह समय ही ऐसा था, जब किसी भी कीमत पर यात्रियों की जान बचाना प्राथमिकता थी।

निष्कर्ष

मसूद अज़हर केवल एक आतंकी नहीं था, वह भारत के खिलाफ चल रहे एक बड़े आतंकी नेटवर्क का चेहरा था। आज जब उसके नेटवर्क पर करारी चोट हुई है, तो ये वक्त है कि भारत को उस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को भी याद रखना चाहिए, जिसमें हमने उसे गिरफ्तार भी किया और फिर मजबूरी में रिहा भी।

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