4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला भारत, ‘ब्रेन ड्रेन’ यानी प्रतिभा पलायन की गंभीर समस्या से जूझ रहा है!

भारत भले ही 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा हो, लेकिन एक और कड़वा सच यह है कि देश ब्रेन ड्रेन (Brain Drain) यानी प्रतिभा पलायन की गंभीर चुनौती से दो-चार हो रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत के लाखों टैलेंटेड युवाओं का विदेशों की ओर रुख करना सिर्फ आर्थिक या करियर की मजबूरी नहीं, बल्कि जातिगत आरक्षण व्यवस्था (Caste Based Reservation System) का भी एक बड़ा परिणाम है।
2023 में रिकॉर्ड ब्रेन ड्रेन, सबसे ज़्यादा पलायन ‘जनरल कैटेगरी’ से
एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023 में लगभग 10 लाख से अधिक भारतीय युवाओं ने विदेशों में नौकरियाँ या करियर के अवसर चुने। इनमें से बड़ी संख्या General Category के Highly Talented Professionals की रही, जो भारत में सीमित अवसरों और आरक्षण से प्रभावित नीतियों से परेशान होकर देश छोड़ने को मजबूर हुए।
ब्रेन ड्रेन की मुख्य वजह – टैलेंट की जगह कास्ट की वैल्यू?
भारत में शिक्षा से लेकर नौकरियों तक जातिगत आरक्षण प्रणाली लागू है, जिसका उद्देश्य सामाजिक संतुलन बनाना है, लेकिन कई बार यह प्रणाली योग्यता (Merit) की उपेक्षा और टैलेंटेड युवाओं के अवसरों की कटौती का कारण बनती है।
विशेषकर सामान्य वर्ग (General Category) के छात्र और प्रोफेशनल्स, जिन्हें स्कॉलरशिप, कॉलेज एडमिशन और सरकारी नौकरियों में सीमित सीटें मिलती हैं, वे इस असमानता से निराश होकर विदेशों में बेहतर अवसर तलाशने लगते हैं।
IT और टेक सेक्टर में टैलेंट पलायन से खतरा
भारत की आईटी और टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री, जो कि देश की GDP में बड़ी भूमिका निभाती है और 4 ट्रिलियन इकोनॉमी की रीढ़ मानी जाती है, टैलेंटेड इंजीनियरों और तकनीकी विशेषज्ञों पर निर्भर है। यदि ब्रेन ड्रेन की यह दर यूं ही बढ़ती रही, तो आने वाले वर्षों में भारत का तकनीकी विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में स्थान भी कमजोर पड़ सकता है।
समाधान क्या है?
विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत को अपनी आरक्षण नीतियों की पुनः समीक्षा करनी चाहिए और टैलेंट बेस्ड सिस्टम की ओर कदम बढ़ाने चाहिए, ताकि देश के होनहार युवा यहां रहकर राष्ट्रीय विकास में योगदान दें, न कि विदेशी कंपनियों की सफलता का हिस्सा बनें।