बाबू जगजीवन राम जी की पत्नी श्रीमती इन्द्राणी देवी जी की डाइयरी से

बाबू जी की पत्नी लिखती है अम्बेडकर एक दिन हमारे घर पर आये और बाबूजी से बोले की वो उनको गांधी से कैबिनेट में रखवाने के लिए सिफारिश करे । इस प्रकार बाबूजी ने यह बात पटेल से कहि तो पटेल जी ने कहा जैसा आप उचित समझे । तब बाबूजी दुविधा में पड़ गए की वह गांधी जी से इस विषय में कैसे बात करे जबकि अम्बेडकर , गांधी और कोंग्रेस का विरोध करते रहे है । इस तरह बाबूजी जी ने बड़े हृदय के साथ गांधी जी से कहा की अम्बेडकर आप से क्षमाप्रार्थी है ,इसलिए आप पण्डित नेहरू से अम्बेडकर को पहली कॅबिनेट में रखने की बात करे । इस तरह जवाहर नेहरू के कारण अम्बेडकर ने बाबू जी के behalf पर कैबिनेट join किया । बाद में 4 साल बाद अम्बेडकर ने फिर कोंग्रेस छोड़ कर नेहरू और कोंग्रेस के नेताओ की आलोचना करते हुए अपनी महत्वकक्षा के कारण नई पार्टी बनाई और सोशलिस्ट पार्टी से गठबंधन किया । 1952 के चुनाव में 482 में से 364 सीटें कोंग्रेस ने जीते ।
लगभग 3/4 सीटे । इस तरह अम्बेडकर की पार्टी एक भी सीट जितने में असफल रही । केवल एक बोम्बे और हैदराबाद (निज़ामशाही ) वाली सीट छोड़कर । इस विषय पर अम्बेडकर के सबसे बड़े प्रसंशक लेखक धनंजय कीर उनकी बायोग्राफी में लिखते है —
“It was a colossal failure, and Ambedkar fell like a rocket,”(यह अम्बेडकर की सबसे विशाल असफलता थी और वह एक रॉकेट की तरह गिर पड़े थे । )
बाबूजी की पत्नी तो यहाँ तक अपनी डायरी में लिखती है की जिस रात अम्बेडकर हमारे घर पर सिफारिश के लिए आये उस दिन वो बाबूजी के पैर छूकर रोने तक लगे थे ।

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