विशेष आलेख : गोविंद सिंह राजपूत
भारत के ओजस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कुशल मार्गदर्शन एवं मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी के दूरदर्शी नेतृत्व में, खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने पिछले दो वर्षों में ‘खाद्य सुरक्षा और उपभोक्ता न्याय’ के मूल मंत्र को चरितार्थ करने का अथक प्रयास किया है। हमारी यात्रा केवल योजनाओं के क्रियान्वयन तक सीमित नहीं रही है, बल्कि हमने ऐसी व्यवस्थाओं का निर्माण किया है जो पारदर्शिता, दक्षता और जन-सरोकार पर आधारित हैं। हमने प्रदेश के करोड़ों परिवारों को न केवल सस्ती दरों पर गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न उपलब्ध कराया है, बल्कि उन्हें एक मजबूत उपभोक्ता संरक्षण कवच भी प्रदान किया है। पिछले दो वर्षों में महत्वपूर्ण उपलब्धियों, नवाचारों और दूरगामी फैसलों से मध्यप्रदेश की खाद्य वितरण और उपभोक्ता न्याय प्रणाली को एक नई दिशा दी गयी है।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली का डिजिटल सशक्तिकरण राज्य की जनता के लिए एक अधिकार बन कर उभरा है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली राज्य की खाद्य सुरक्षा की रीढ़ है। पिछले दो वर्षों में, विभाग ने पीडीएस को भ्रष्टाचार-मुक्त और ‘सही हितग्राही को सही लाभ’ सुनिश्चित करने के लिए अभूतपूर्व डिजिटल पहल की है।
समर्थन मूल्य पर खाद्यान्न का उपार्जन
प्रदेश के किसानों की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया है। खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 में 6.05 लाख किसानों से 42.4 लाख मीट्रिक टन धान का उपार्जन कर 9,200.18 करोड़ का भुगतान किसानों को किया गया। खरीफ विपणन वर्ष 2024- 25 में 6.69 लाख किसानों से 43.52 लाख मैट्रिक टन धान का उपार्जन कर समर्थन मूल्य राशि 1001 करोड़ का भुगतान किसानों को किया गया। उपार्जन अवधि में ही 14.18 लाख मीट्रिक टन धान उपार्जन केंद्र से सीधे मिलर्स को प्रदाय कर परिवहन हैंडलिंग व्यय की बचत की गई। खरीफ विपणन वर्ष 2025- 26 में समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन हेतु 8.59 लाख किसानों का पंजीयन किया गया है, जिनसे दिसंबर 2025 से समर्थन मूल्य राशि 2369 प्रति क्विंटल की दर से धान का उपार्जन किया जाएगा। इसी तरह रवि विपणन वर्ष 2024-25 में समर्थन मूल्य पर उपार्जित 48.38 लाख मीट्रिक टन गेहूं पर 6.13 लाख किसानों को 125 में प्रति क्विंटल की दर से 605 करोड़ तथा रबी विपणन वर्ष 2025- 26 में समर्थन मूल्य पर उपार्जित 77.74 लाख मीट्रिक टन गेहूं पर 9 लाख किसानों को 175 रुपए प्रति क्विंटल की दर से 1360 करोड़ राज्य सरकार द्वारा बोनस का भुगतान किया गया।
*ई-केवाईसी अभियान में आधारभूत सुधार :*
हमने प्रदेश के समस्त राशन उपभोक्ताओं की पहचान को प्रमाणित करने के लिए प्रदेश स्तर पर एक विशाल ई-केवाईसी अभियान चलाया। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य प्रणाली से फर्जी और डुप्लीकेट नामों को हटाना तथा सुनिश्चित करना था कि केवल पात्र व्यक्ति ही रियायती राशन प्राप्त करें। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत पात्र परिवारों की पहचान सुनिश्चित करने माह दिसंबर 2023 से अभी तक 1.61 करोड़ हितग्रहियों के ई-केवाईसी किए गए हैं। अभी तक 92 फीसदी से अधिक हितग्राहियों की ई-केवाईसी सफलतापूर्वक पूरी की जा चुकी है। प्रदेश की 27,875 उचित मूल्य दुकानों पर लगाई गई पीओएस मशीन से पात्र हितग्राहियों की ईकेवायसी करने की व्यवस्था के अतिरिक्त बच्चों तथा हितग्राही द्वारा घर बैठे ईकेवाईसी करने की सुविधा भारत सरकार के “मेरा ईकेवायसी” ऐप के माध्यम से दी गई है।
*’वन नेशन, वन राशन कार्ड’ का पूर्ण क्रियान्वयन :*
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने ‘वन नेशन, वन राशन कार्ड’ योजना को प्रदेश में सफलतापूर्वक लागू किया। अंतरराज्यीय पोर्टेबिलिटी के तहत अब मध्यप्रदेश के 30,000 उपभोक्ता देश के अन्य राज्यों से और अन्य राज्यों के 6821 उपभोक्ता मध्यप्रदेश से अपने हिस्से का राशन प्राप्त कर रहे हैं। इसी प्रकार अंतर जिला पोर्टेबिलिटी से 15, 39, 384 परिवारों द्वारा अन्य दुकान से प्रतिमाह राशन प्राप्त किया जा रहा है। यह सुविधा प्रवासी मजदूरों और नौकरीपेशा लोगों के लिए वरदान साबित हुई है, जिससे उनकी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हुई है। प्रदेश में विगत दो वर्ष में लगभग 17 लाख परिवारों के डाटाबेस में मोबाइल सीडिंग की गई। इस प्रकार कुल 97 प्रतिशत परिवारों की मोबाइल सीडिंग की जाकर प्रतिमाह वितरित सामग्री की सूचना के लिये एसएमएस प्रेषित किया जा रहा है, ताकि उपभोक्ता द्वारा प्राप्त सामग्री का मिलान किया जा सके।
किसी भी प्रकार की अनियमितता या लापरवाही को रोकने के लिए राशन वितरण को शत-प्रतिशत बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण पर आधारित किया गया। इसने मैनुअल हस्तक्षेप को समाप्त किया और वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित की गई है। प्रत्येक वितरण के बाद हितग्राही को उसके मोबाइल पर एसएमएस के माध्यम से वितरण की जानकारी भेजी जाती है, जिससे शिकायत की संभावना नगण्य हो जाती है। इसके अलावा अगस्त 2024 से कैरी फॉरवार्ड वितरण व्यवस्था समाप्त कर आवंटन माह में ही समस्त पात्र परिवारों को पात्रतानुसार राशन वितरण कराया जा रहा है, जिससे परिवारों को समय पर सामग्री प्राप्त हो रही है। माह दिसंबर 2023 से अभी तक 91.14 लाख नवीन हितग्राहियों को जोड़कर निःशुल्क खाद्यान्न का वितरण कराया गया तथा मृत/अपात्र/स्थाई रूप से पलायन करने वाले 72.94 लाख हितग्राहियों को पोर्टल से विलोपित किया गया।
*मुख्यमंत्री युवा अन्नदूत योजना से अंतिम छोर तक आपूर्ति :*
प्रदेशभर में खाद्यान्न की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना एक बड़ी चुनौती थी, विशेषकर पहुंच विहीन दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में। पर प्रदेश के मुखिया एवं संवेदनशील मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी की जनसेवा को चरितार्थ करने की दूरगामी सोच को साकार करते हुए विभाग द्वारा युवाओं का सशक्तिकरण और आपूर्ति में दक्षता सुनिश्चित कर ‘मुख्यमंत्री युवा अन्नदूत योजना’ के तहत 308 प्रदाय केंद्र से 896 वाहनों से उचित मूल्य दुकानों का खाद्यान्न जिस वक्त डिस्पैच होगा, उसी समय संबंधित उचित मूल्य दुकानों के पंजीबद्ध उपभोक्ताओं को राशन निकलने की जानकारी एसएमएस के माध्यम से उनके मोबाइल नंबर पर पहुंचेगी।
ग्रामीण क्षेत्रों के शिक्षित युवाओं को वाहन खरीदने के लिए मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना के तहत 1.25 लाख प्रति वाहन अनुदान के साथ 3 प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया गया। मध्यप्रदेश सरकार की इस योजना ने दोहरे लक्ष्य साधे। एक तरफ युवाओं को स्व-रोजगार के अवसर मिले और वे उद्यमी बने। वहीं दूसरी तरफ खाद्यान्न को शासकीय गोदामों से उचित मूल्य की दुकानों तक पहुंचाने में लगने वाले समय में 30 प्रतिशत तक की कमी आई। इसने “जस्ट-इन-टाइम” डिलीवरी मॉडल को अपनाया, जिससे स्टॉक की कमी की समस्या समाप्त हुई। योजना में पारदर्शिता बनाए रखने एवं सतत् निगरानी के लिए सभी अन्नदूत वाहनों को जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम से लैस किया गया है, जिससे उनके रूट और डिलीवरी समय की निगरानी की जा सके। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राशन सही समय पर और सही मात्रा में दुकान तक पहुंचे।
*किसान-हितैषी उपार्जन नीति और भुगतान सुधार :*
किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाना और उपार्जन प्रक्रिया को सरल बनाना विभाग की प्रमुख जिम्मेदारी रही है। सरल और त्वरित उपार्जन प्रक्रिया अपनाते हुए किसानों के पंजीयन का सरलीकरण किया गया। उपार्जन के लिए किसानों के पंजीयन की प्रक्रिया को भू-अभिलेख डाटाबेस से सीधे लिंक किया गया, जिससे बार-बार दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता समाप्त हो गई। इससे लाखों किसानों के लिए पंजीयन त्वरित और त्रुटि-रहित और आसान हो गया।
गेहूं-धान के अलावा ज्वार और बाजरा जैसी अन्य फसलों को भी समर्थन मूल्य पर उपार्जित किया गया, जिससे किसानों को फसल विविधीकरण के लिए प्रोत्साहन मिला और वे एक ही फसल पर निर्भरता से मुक्त हुए। किसानों को आर्थिक संबल प्रदान करने के लिए भुगतान में जेआईटी मॉडल अपनाया गया। किसानों को उनकी उपज का भुगतान सीधे उनके आधार-लिंक्ड बैंक खातों में जेआईटी प्रणाली के माध्यम से किया गया। इस प्रणाली ने बिचौलियों की भूमिका को पूरी तरह से समाप्त कर दिया और सुनिश्चित किया कि भुगतान उपार्जन के 72 घंटे के भीतर किसान के खाते में जमा हो जाए।
*उपभोक्ता संरक्षण एवं न्याय का सशक्तिकरण :*
उपभोक्ता विवादों का त्वरित निराकरण हो सके इसके लिए उपभोक्ता आयोगों का डिजिटलीकरण किया गया। पिछले दो वर्षों में विभाग के प्रयासों से राज्य के विभिन्न आयोगों और मंचों पर लगभग 3 लाख 7 हजार से अधिक उपभोक्ता विवाद प्रकरणों का निराकरण किया गया है। उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए ‘जागो ग्राहक जागो’ जैसे अभियान पूरे प्रदेश में चलाए गए, ताकि वे स्वयं गुणवत्ता मानकों की जाँच कर सकें।
*प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का विस्तार :*
केंद्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर उतारना भी विभाग का महत्वपूर्ण कार्य रहा है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का विस्तार करते हुए राज्य की माताओं और बहनों को धुएं से बचाने के लिए मुफ्त गैस कनेक्शन का वितरण किया गया। ग्रामीण और गरीब परिवारों को मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन उपलब्ध कराते हुए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत माह दिसंबर 2023 से अगस्त 2025 तक 549.51 लाख गैस रिफिल पर 750.34 करोड़ का अनुदान हितग्रहियों को दिया गया। वहीं प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अंतर्गत गरीब महिलाओं को 6 लाख 77 हजार 872 नवीन गैस कनेक्शन निःशुल्क उपलब्ध कराए गए। पीव्हीटीजी श्रेणी के 22,560 परिवारों को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के गैस कनेक्शन उपलब्ध कराए गए।
अब प्रदेश की बहनों के आंखों में धुएं की धुंध की बजाए आशा की एक नई उजास नजर आ रही है।
प्रदेश में 10 सीजीडी संस्थाएं कार्यरत हैं जिनके द्वारा प्रदेश की 25 भौगोलिक क्षेत्र में स्थित समस्त जिलों में विगत दिसंबर 2023 से अक्टूबर 2025 तक 1 लाख 16 हजार 451 घरों में पाइप्ड नेचुरल गैस उपलब्ध कराई गई है । इसी प्रकार 67 सीएनजी स्टेशनों के माध्यम से वाहनों को स्वच्छ ईंधन की आपूर्ति की गई है। मध्यप्रदेश में शहरी गैस वितरण नेटवर्क विकास और विस्तार नीति 2025 जारी की गई है। इस नीति के तहत राज्य में पीएनजी और सीएनजी गैस के वितरण का नेटवर्क विस्तार किया जा रहा है।
विभाग का संकल्प है कि हम इन उपलब्धियों पर रुकेंगे नहीं, बल्कि और अधिक दक्षता और संवेदनशीलता के साथ कार्य करेंगे।
पिछले दो वर्षों में, विभाग ने अपनी हर चुनौती को अवसर में बदला है। खाद्य सुरक्षा केवल राशन वितरण नहीं है, यह सम्मान और आजीविका का सवाल है। हमारी हर नीति और निर्णय इसी भावना से प्रेरित रहा है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि मध्यप्रदेश का प्रत्येक नागरिक सम्मान के साथ, गुणवत्तापूर्ण भोजन प्राप्त करे और उसके उपभोक्ता अधिकारों का हर हाल में संरक्षण हो। जनता की सेवा में हमारा यह अभियान निरंतर जारी रहेगा।
*(लेखक मप्र के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री हैं)*
सुगम खाद्य आपूर्ति और सशक्त उपभोक्ता ही खाद्य विभाग की प्रतिबद्धता
