
भारत में जब डिजिटल इंडिया की बात होती है, तो कल्पना की जाती है कि तकनीक के माध्यम से समाज, शिक्षा और विकास को नई दिशा मिलेगी। लेकिन हाल के दिनों में कुछ डिजिटल कंटेंट ऐसे सामने आए हैं जिन्होंने इस उद्देश्य को सवालों के घेरे में ला दिया है। विशेषकर एजाज खान द्वारा होस्ट किए जा रहे एक शो “हाउस अरेस्ट” को लेकर देशभर में नाराज़गी और आलोचना तेज़ हो गई है।
शो में जिस तरह की अश्लील भाषा और दृश्य दिखाए जा रहे हैं, वह फैमिली एंटरटेनमेंट के नाम पर एक गहरी चोट है। कैमरे के सामने लड़कियों से सेक्स पोजीशन से जुड़े खुले सवाल पूछे जा रहे हैं और उन्हें प्रयोग करने के लिए उकसाया जा रहा है। संवाद इतने आपत्तिजनक हैं कि उन्हें परिवार के साथ बैठकर देखना तो दूर, अकेले देखना भी असहज बना सकता है।
क्या डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर कोई नैतिक जिम्मेदारी नहीं?
यह सिर्फ एजाज खान शो विवाद नहीं है, यह पूरे डिजिटल एंटरटेनमेंट उद्योग के चरित्र और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की सेंसरशिप नीति पर सवाल है। सरकार चुप है, सेंसर बोर्ड निष्क्रिय है और डिजिटल कंपनियाँ TRP और व्यूज़ की दौड़ में नैतिकता की बलि चढ़ा रही हैं।
जनता का गुस्सा फूट पड़ा, #UnfollowEjazKhan ट्रेंड पर
सोशल मीडिया पर हजारों लोग एजाज खान को अनफॉलो करने की अपील कर रहे हैं। हैशटैग #UnfollowEjazKhan और #StopDigitalVulgarity ट्रेंड कर रहे हैं। लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या बच्चों को दिए जा रहे मोबाइल अब संस्कार नहीं, अश्लीलता का जरिया बनते जा रहे हैं?
“अब बहुत हो चुका है” – जनता की चेतावनी
अगर सरकार और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने समय रहते कठोर कदम नहीं उठाए, तो यह सिलसिला आगे और खतरनाक रूप ले सकता है। यह सिर्फ एक शो की बात नहीं, बल्कि सार्वजनिक शुचिता, सामाजिक जिम्मेदारी और अगली पीढ़ी के मानसिक स्वास्थ्य की बात है।