Opinion

गाजियाबाद के लोनी विधायक नंद किशोर गुर्जर का विवादित बयान, सहारनपुर की सभा में उड़ी राजनीतिक तापमान

गौहत्या पर दिया तीखा बयान, विपक्ष ने जताई आपत्ति; कानून-व्यवस्था और सामाजिक सौहार्द पर छिड़ी बहस

सहारनपुर/गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश। लोनी से भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर एक बार फिर अपने बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। सहारनपुर में आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने गौहत्या को लेकर तीखी टिप्पणी कर दी, जिसके बाद राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। सभा के दौरान बोलते हुए विधायक गुर्जर ने कहा कि “अगर कोई गाय काटने वाला मिल जाए तो उसके सामने हाथ नहीं जोड़ने चाहिए, बल्कि उसकी गर्दन काटनी चाहिए। गाय हमारी मां है, और अपनी मां की रक्षा करना हर बच्चे का हक है।” उन्होंने आगे कहा कि हिंदू समुदाय अक्सर चुप रहता है और देवताओं के अपमान के बावजूद प्रतिक्रिया नहीं देता। ऐसे लोगों को “ठीक करने” की बात कहते हुए उन्होंने भावनात्मक रूप से भरे शब्दों का प्रयोग किया, जिसके चलते विवाद खड़ा हो गया।

विधायक के इस बयान के कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं, जिन पर विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि जनप्रतिनिधि द्वारा इस तरह की भाषा सामाजिक सौहार्द के लिए ठीक नहीं है और इससे कानून हाथ में लेने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिल सकता है। वहीं, विधायक नंद किशोर गुर्जर के समर्थकों का कहना है कि उनका बयान गौ-तस्करी और गौहत्या के मुद्दे पर चिंता व्यक्त करने के लिए था, जिसे भावनाओं के संदर्भ में समझा जाना चाहिए। हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसे बयान संवेदनशील समुदायों के बीच तनाव बढ़ा सकते हैं और स्थानीय प्रशासन को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी पड़ सकती है।

उत्तर प्रदेश में गौहत्या पहले से ही कानूनन अपराध है, ऐसे में इस बयान ने कानून-व्यवस्था, धार्मिक भावनाओं और राजनीतिक संवाद की मर्यादाओं पर एक नई बहस छेड़ दी है। लेकिन यह भी सच है कि चुनावी मौसम और बढ़ती राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के बीच ऐसे बयानों का असर व्यापक सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य पर देखने को मिलता है।

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