सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: एससी-एसटी पर लागू नहीं होगा हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, हाईकोर्ट का फैसला रद्द

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए स्पष्ट किया कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956  अनुसूचित जनजातियों पर लागू नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार इस संबंध में अधिसूचना जारी नहीं करती, तब तक यह कानून आदिवासी समुदायों पर प्रभावी नहीं हो सकता। यह फैसला हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के वर्ष 2015 के निर्णय को पलटते हुए दिया गया है।

जस्टिस संजय करोल और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने कहा कि हिंदू सक्सेशन एक्ट की धारा 2(2) स्पष्ट रूप से बताती है कि यह अधिनियम अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों पर लागू नहीं होता। अदालत ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार विशेष रूप से अधिसूचना जारी नहीं करती, तब तक आदिवासी समुदायों की संपत्ति का बंटवारा उनके पारंपरिक रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार ही होगा।

यह मामला हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के 2015 के उस फैसले से जुड़ा था, जिसमें कहा गया था कि राज्य के जनजातीय क्षेत्रों में बेटियों को संपत्ति में अधिकार हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत मिलना चाहिए। हाईकोर्ट ने इसे सामाजिक न्याय की दिशा में कदम बताया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा निर्देश कानून के प्रावधानों के विपरीत है और संविधान के तहत केंद्र सरकार की अधिसूचना के बिना इस अधिनियम को लागू नहीं किया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि जनजातीय समुदायों के अधिकार, परंपराएं और रीति-रिवाज भारतीय कानून में विशेष संरक्षण प्राप्त हैं। यह फैसला आदिवासी समाज की स्वायत्तता और उनकी पारंपरिक व्यवस्था की संवैधानिक मान्यता को पुनः स्थापित करता है।

Exit mobile version