जौनपुर, उत्तर प्रदेश। जब देश में टीवी डिबेट्स पर भारत-पाकिस्तान युद्ध की बातें होती हैं और सोशल मीडिया पर ‘एयरस्ट्राइक’ ट्रेंड करता है, तब एक कड़वी सच्चाई सामने आती है जिसे नजरअंदाज़ कर दिया जाता है। ऐसी ही एक मार्मिक घटना सामने आई है जौनपुर जिले की, जहाँ एक ही ग्राम पंचायत के चार मछुआरे पाकिस्तान की जेल में चार साल से बंद थे। अब उनमें से एक मछुआरे, घुरहू, की लाश वापस भारत लौटी है – और वो भी ऐसी स्थिति में कि शरीर में बड़े-बड़े कीड़े लगे हुए थे।
भारत-पाकिस्तान सीमा पर मछुआरों की गिरफ्तारी बनी स्थायी समस्या
हर साल भारत के दर्जनों मछुआरे मरीन सीमा के उल्लंघन के आरोप में पाकिस्तान द्वारा पकड़ लिए जाते हैं। मौजूदा समय में 100 से 150 भारतीय मछुआरे पाकिस्तान की हिरासत में हैं। इनमें से अधिकतर गरीब तबके से आते हैं, जो अपने परिवार का पेट पालने के लिए समुद्र में उतरते हैं और कभी-कभी अनजाने में सीमाएं पार कर जाते हैं।
जौनपुर के मछुआरे की मौत और पाकिस्तान की बेरहमी
घुरहू, जो जौनपुर की एक ग्राम पंचायत से ताल्लुक रखते थे, चार साल पहले मछली पकड़ने के दौरान पाकिस्तान की नेवी द्वारा गिरफ्तार किए गए थे। उनके परिजनों को कोई जानकारी नहीं दी गई थी। अब जब उनकी लाश लौटी, तो उसमें कीड़े लगे हुए थे और शरीर सड़ चुका था। साथ ही जो चिट्ठी उनके साथ आई, उसने भारत की मीडिया और सरकार की ‘एयरस्ट्राइक राजनीति’ की पोल खोल दी।
मीडिया और सरकार की चुप्पी पर सवाल
घुरहू की मौत ने सवाल खड़े कर दिए हैं – क्या एयरस्ट्राइक की खबरें ही देशभक्ति हैं? क्या उन नागरिकों की सुध लेना जरूरी नहीं जो विदेशों की जेलों में सड़ रहे हैं? एक तरफ जब टीवी चैनल युद्ध की खबरों से टीआरपी बटोरते हैं, वहीं दूसरी तरफ सीमा पार से ताबूत लौटते हैं, जिनका कोई नाम तक नहीं लेता।
निष्कर्ष:
इस घटना ने एक बार फिर हमें आईना दिखाया है कि असली देशभक्ति क्या है — युद्ध की बातें करना या उन नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना जो सबसे निचले तबके से हैं और जिनकी आवाज़ कोई नहीं सुनता। घुरहू की दर्दनाक मौत उन सभी सवालों को जन्म देती है जिनका जवाब देना हम सबका फर्ज है।
भारत-पाकिस्तान युद्ध की बातें करने वालों के लिए चेतावनी: पाकिस्तान की जेल में सड़ते भारतीय, एक की लाश कीड़े लगी हालत में लौटी
