यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के भ्रमण से भारत, आसियान सांस्कृतिक संबंधों को नई दिशा

आसियान देशों के प्रतिनिधिमंडल का सांची में स्वागत

भोपाल/सांची। मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा आसियान (ASEAN) देशों के उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के लिए यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल सांची स्तूप का विशेष भ्रमण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस पहल का उद्देश्य भारत और आसियान देशों के बीच सांस्कृतिक, आध्यात्मिक तथा पर्यटन सहयोग को और अधिक सशक्त बनाना रहा।

उच्चस्तरीय आसियान प्रतिनिधिमंडल की सहभागिता

इस प्रतिनिधिमंडल में  वियतनाम के राजदूत श्री गुयेन थान्ह हाई, फिलीपींस के राजदूत श्री जोसेफ एफ. इग्नासियों, कंबोडिया की राजदूत सुश्री रथ मनी, तिमोर लेस्ते के राजदूत श्री कार्लितो नुनेस, थाईलैंड की राजदूत सुश्री छवनार्ट थांगसुमफंट, इंडोनेशिया की राजदूत सुश्री इना एच. कृष्णमूर्ति (भारत एवं भूटान), ब्रुनेई दारुस्सलाम के मिशन प्रमुख (द्वितीय सचिव) श्री पेंगिरन मोहम्मद शफी अलवाली बिन पेंगिरन अबू बकर शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने सांची पहुँचकर मध्यप्रदेश की समृद्ध बौद्ध विरासत, स्थापत्य कला एवं ऐतिहासिक धरोहर के महत्व को गहराई से समझा।

सांची स्तूप की कला, इतिहास और संरक्षण कार्यों की प्रशंसा

प्रतिनिधियों ने सांची के महान स्तूप, अशोक स्तंभ, भव्य तोरण द्वारों, तथा पुरातात्विक संग्रहालय का अवलोकन किया और इसकी अद्भुत शिल्पकला, संरक्षण कार्यों तथा बौद्ध धरोहर की ऐतिहासिक समृद्धि की सराहना की। पुरातत्व विशेषज्ञों ने उन्हें सांची के 2300 वर्ष पुराने इतिहास, मौर्यकालीन स्थापत्य, बौद्ध धर्म के प्रसार में इसकी केंद्रीय भूमिका, तथा दक्षिण–पूर्व एशियाई देशों से इसके सांस्कृतिक संबंधों के विस्तृत पहलुओं से अवगत कराया।
भारत–आसियान सांस्कृतिक साझेदारी को नया बल

प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि सांची जैसे धरोहर स्थल भारत और आसियान देशों के बीच सांस्कृतिक साझेदारी, आध्यात्मिक सम्बंध और पर्यटन सहयोग को नई गति प्रदान करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सांची का दौरा दक्षिण–पूर्व एशिया और भारत के बीच बौद्ध विरासत के साझा इतिहास को पुनर्स्थापित करता है। इससे भविष्य में पर्यटन विस्तार, सांस्कृतिक निवेश, तथा शोध–अध्ययन सहयोग के नए अवसर खुलेंगे। प्रतिनिधियों ने मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किए जा रहे धरोहर संरक्षण, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, और पर्यटन संवर्धन के प्रयासों की भी सराहना की।

सांची का यह भ्रमण न केवल भारत–आसियान संबंधों को मजबूत बनाता है, बल्कि मध्यप्रदेश की वैश्विक विरासत पहचान को भी और अधिक प्रतिष्ठा प्रदान करता है। सांची की यह ऐतिहासिक यात्रा दोनों पक्षों के लिए सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और पर्यटन क्षेत्र में सहयोग के नए क्षितिज खोलने वाली साबित हुई है।

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