नई दिल्ली। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने तिरुपति-पाकला-कटपडी रेलवे दोहरीकरण परियोजना को मंजूरी दे दी है। यह परियोजना आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में 104 किमी रेलवे लाइन के दोहरीकरण के लिए है, जिसकी कुल लागत 1332 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है। इस कदम से भारतीय रेलवे के बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण सुधार होगा और रेल यात्रा की सुविधा में वृद्धि होगी, जिससे यात्रियों को बेहतर सेवाएं मिलेंगी।
तिरुपति से जुड़े प्रमुख तीर्थ स्थल: कनेक्टिविटी में सुधार
इस परियोजना का उद्देश्य तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर तक रेल कनेक्टिविटी को मजबूत करना है, जहां प्रतिदिन लगभग 75,000 तीर्थयात्री आते हैं, और विशेष अवसरों पर यह संख्या 1.5 लाख तक पहुँच जाती है। इस रेलवे लाइन दोहरीकरण से तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर जैसे प्रमुख धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों के साथ-साथ अन्य स्थानों जैसे श्री कालहस्ती शिव मंदिर, कनिपकम विनायक मंदिर, और चंद्रगिरी किला तक भी कनेक्टिविटी में सुधार होगा। इससे पर्यटन और तीर्थ यात्रा को बढ़ावा मिलेगा, और देशभर से तीर्थयात्री इस क्षेत्र में आकर्षित होंगे।
रेलवे सेवा में सुधार और भीड़भाड़ कम करने के प्रयास
इस मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना के तहत रेलवे लाइन क्षमता में सुधार होगा, जिससे भारतीय रेलवे के सबसे व्यस्ततम खंडों पर भीड़भाड़ कम होगी और सुविधाओं का विस्तार होगा। यह मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगा, जो प्रधानमंत्री गति शक्ति मास्टर प्लान के तहत एकीकृत योजना का परिणाम है, और इस योजना के माध्यम से लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की निर्बाध आवाजाही को सुनिश्चित किया जाएगा।
क्षेत्रीय विकास और रोजगार सृजन
इस परियोजना का एक और महत्वपूर्ण पहलू क्षेत्रीय विकास है, क्योंकि यह 400 गांवों और लगभग 14 लाख लोगों को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। परियोजना निर्माण के दौरान, लगभग 35 लाख मानव-दिवसों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार भी सृजित होगा। इससे आर्थिक समृद्धि और स्वरोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे, जिससे क्षेत्र के लोगों को लाभ होगा।
पर्यावरणीय प्रभाव और लॉजिस्टिक्स लागत में कमी
यह परियोजना केवल यात्रा की सुविधा में सुधार नहीं करेगी, बल्कि लॉजिस्टिक्स लागत में कमी लाएगी। इससे तेल आयात में 4 करोड़ लीटर की कमी और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 20 करोड़ किलोग्राम की कमी होगी, जो 1 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है। भारतीय रेलवे एक पर्यावरणीय रूप से कुशल और ऊर्जा बचत करने वाला परिवहन विकल्प है, जिससे जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद मिलेगी।
माल ढुलाई क्षमता में वृद्धि और नए व्यापार अवसर
रेलवे लाइन की क्षमता बढ़ाने के परिणामस्वरूप, 4 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) की अतिरिक्त माल ढुलाई क्षमता उत्पन्न होगी। यह परियोजना कोयला, कृषि वस्तुएं, सीमेंट, और खनिज जैसे महत्वपूर्ण सामान के परिवहन के लिए एक आवश्यक मार्ग प्रदान करेगी, जिससे लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में भी सुधार होगा।
निष्कर्षतः, तिरुपति-पाकला-कटपडी रेलवे दोहरीकरण परियोजना भारतीय रेलवे के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो यात्रियों के लिए बेहतर यात्रा अनुभव, पर्यावरण संरक्षण, और आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देगा। इससे तिरुपति और अन्य प्रमुख तीर्थ स्थलों के लिए कनेक्टिविटी में सुधार होगा, और यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए भारत के विजन के अनुरूप है, जहां क्षेत्रीय विकास और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।