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जनजातीय समाज में ज़बरन धर्मांतरण के विरोध में निशा भगत का नेतृत्व, हजारों आदिवासी सड़कों पर उतरे

छत्तीसगढ़ । जनजातीय समाज में बढ़ते ज़बरन धर्मांतरण के मामलों के खिलाफ आज प्रदेशभर में बड़ी जनजागृति देखने को मिली। सामाजिक कार्यकर्ता निशा भगत के नेतृत्व में हजारों आदिवासी महिलाओं और पुरुषों ने पारंपरिक वेशभूषा में रैली निकालकर अपनी संस्कृति, परंपराओं और धार्मिक पहचान की रक्षा का संकल्प लिया। आंदोलन का मुख्य उद्देश्य सरकार और प्रशासन तक अपनी आवाज़ पहुँचाना तथा ज़बरन धर्मांतरण पर सख्त नियंत्रण की मांग उठाना रहा।

जनजातीय समाज में ज़बरन धर्मांतरण को लेकर आज एक बड़ा विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया, जिसमें हजारों आदिवासियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। इस जनआंदोलन का नेतृत्व सामाजिक कार्यकर्ता निशा भगत ने किया, जिन्होंने मंच से कहा कि “हमारी संस्कृति, हमारी परंपरा और हमारी आस्था पर किसी भी प्रकार का अतिक्रमण स्वीकार नहीं किया जाएगा।”

प्रदर्शनकारी आदिवासी समुदाय पारंपरिक ड्रम, नगाड़े और झंडों के साथ संगठित रूप से सड़कों पर उतरे। रैली में शामिल लोगों ने सरकार से मांग की कि जनजातीय समाज की पहचान और उनकी प्राचीन परंपराओं की सुरक्षा के लिए ठोस कानून और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। कई वक्ताओं ने बताया कि धर्मांतरण के बढ़ते मामलों से जनजातीय समाज की सामाजिक संरचना और सांस्कृतिक संतुलन पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।

निशा भगत ने कहा कि यह विरोध किसी एक धर्म के खिलाफ नहीं, बल्कि उन तत्वों के खिलाफ है जो लालच, दबाव या धोखे से जनजातीय समुदाय को उनकी मूल आस्था से दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह भी मांग की कि प्रत्येक जिले में धर्मांतरण निगरानी समितियां बनाई जाएं और पीड़ितों को कानूनी सहायता उपलब्ध कराई जाए।

रैली शांतिपूर्ण रूप से संपन्न हुई, लेकिन आदिवासी समाज ने साफ किया कि यदि उनकी संस्कृति के साथ छेड़छाड़ जारी रही, तो आंदोलन आगे और व्यापक रूप लेगा। यह विरोध प्रदेश में जनजातीय पहचान की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश माना जा रहा है।

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