रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के बयान से पाकिस्तान में खलबली, सिंध को बताया भारत की सभ्यतागत विरासत का हिस्सा

नई दिल्ली। भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के एक महत्वपूर्ण बयान के बाद पाकिस्तान की राजनीति और मीडिया में जोरदार हलचल मच गई है। बयान में उन्होंने कहा कि सिंध भले ही आज भौगोलिक रूप से भारत का हिस्सा न हो, लेकिन यह भारत की सभ्यतागत विरासत का अभिन्न अंग है। इस टिप्पणी के सामने आने के बाद पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषकों और मीडिया ने इसे विस्तारवादी हिंदुत्व मानसिकता बताते हुए प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया, जिससे वहां पूरी तरह हड़कंप की स्थिति पैदा हो गई है।
राजनाथ सिंह ने क्या कहा?
अपने संबोधन में रक्षामंत्री ने कहा कि सिंध अब भौगोलिक रूप से भारत का हिस्सा नहीं है, लेकिन भारतीय सभ्यता, संस्कृति और इतिहास में उसका स्थान सदैव केंद्रीय रहा है।
उन्होंने सिंधु घाटी, सिंधु सभ्यता, और भारत की सांस्कृतिक जड़ों का उल्लेख करते हुए बताया कि भारत की विरासत सीमाओं से नहीं, बल्कि संस्कृति और सभ्यता की निरंतरता से तय होती है।
पाकिस्तान में बौखलाहट क्यों?
पाकिस्तान के राजनेताओं ने इस बयान को लेकर कहा कि यह “हिन्दुत्व विस्तारवाद” का उदाहरण है और भारत भविष्य में भू-राजनीतिक दावे कर सकता है। पाकिस्तानी न्यूज़ चैनल्स पर लगातार पैनल चलाए जा रहे हैं, जिनमें इस बयान को भारत की रणनीतिक सांस्कृतिक आक्रामकता बताया जा रहा है। सोशल मीडिया पर भी पाकिस्तान में यह मुद्दा ट्रेंड कर रहा है।
भारत में बयान का राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रभाव
भारत में राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राजनाथ सिंह का यह बयान ‘सभ्यतागत राष्ट्रवाद’ की उस सोच को मजबूत करता है, जो भारत की सांस्कृतिक सीमाओं को वर्तमान सीमाओं से कहीं व्यापक मानती है। सिंध को भारत की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा बताने का मतलब इतिहास और सभ्यता के संदर्भ में भारत की मूल जड़ों को रेखांकित करना है।



