वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल मिश्रा: न्याय, सत्य और सनातन भारत के प्रखर प्रतिनिधि

विजय शर्मा


मध्य प्रदेश बार कौंसिल में 1988 में पंजीकरण के बाद से वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल मिश्रा जी ने पिछले 37 वर्षों में न्यायपालिका के क्षेत्र में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। सिविल, आपराधिक और संवैधानिक मामलों में उनकी गहरी समझ और तर्कशक्ति ने उन्हें प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के अग्रणी अधिवक्ताओं की श्रेणी में स्थापित किया है।

1993 से 1995 तक मध्य प्रदेश हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और 2015 से 2017 तक अध्यक्ष के रूप में उन्होंने उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया। उनके मार्गदर्शन में 200 से अधिक जूनियर अधिवक्ता प्रशिक्षित हुए और उनके नाम 2500 से अधिक रिपोर्टेबल जजमेंट दर्ज हैं। उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें कई बार Amicus Curiae नियुक्त किया गया — जो उनकी विधिक गहराई और विश्वसनीयता का प्रमाण है।

न्यायिक विरासत का गौरवशाली इतिहास

अनिल मिश्रा जी का परिवार न्याय की परंपरा से जुड़ा रहा है —

स्व. जस्टिस हरगोविंद मिश्रा, उनके दादा, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के प्रतिष्ठित न्यायमूर्ति रहे।

जस्टिस अरुण मिश्रा, उनके बड़े भाई, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति रहे।

जस्टिस विशाल मिश्रा, उनके छोटे भाई, वर्तमान में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति हैं।

वहीं श्री रोहित मिश्रा, मध्य प्रदेश शासन के अतिरिक्त महाधिवक्ता हैं।


विचारधारा और लक्ष्य

अनिल मिश्रा जी का मानना है जितनी ज़्यादा FIR दर्ज होंगी, उतना ही ज़्यादा सच सामने आएगा। उनके जीवन और संघर्ष के तीन प्रमुख उद्देश्य हैं —

1. डॉ. अंबेडकर के मिथक को उजागर करना
2. आरक्षण व्यवस्था का अंत कर आरक्षण मुक्त भारत बनाना
3. सनातन भारत की पुनर्स्थापना और न्याय प्रणाली में सुधार
4. SC/ST Act के दुरुपयोग पर रोक लगाना

वे मानते हैं कि सच्चा न्याय तभी संभव है जब कानून का प्रयोग समानता और सत्य के लिए हो, न कि किसी विशेष वर्ग के दुरुपयोग के लिए।

Exit mobile version