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रेलवे एम्प्लाई यूनियन को खाली करना होगा ऑफिस, रेलवे ने फिर जारी किया नोटिस

भोपाल। पश्चिम-मध्य रेलवे के कर्मचारियों की प्रमुख यूनियन पश्चिम-मध्य रेलवे एम्प्लाई यूनियन को अब कोटा सहित जोन भर में अपने सभी कार्यालय खाली करने होंगे, क्योंकि जयपुर हाई कोर्ट ने यूनियन की याचिका को खारिज कर दिया है। यह फैसला रेलवे प्रशासन के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है।
हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत
दिसंबर 2023 में मान्यता चुनाव में हार के बाद रेलवे प्रशासन ने यूनियन को सभी विभागीय सुविधाएं समाप्त करने का निर्णय लिया था। इसमें कोटा स्टेशन रोड स्थित यूनियन का ऑफिस और प्रसिद्ध उमराव मल पुरोहित सभागार भी शामिल था। रेलवे द्वारा यूनियन को यह संपत्तियाँ खाली करने के लिए नोटिस भेजा गया था। हालांकि, यूनियन ने इसे जयपुर हाई कोर्ट में चुनौती दी थी और कोर्ट ने यथा स्थिति बनाए रखने का आदेश जारी किया था। चार महीने तक चली सुनवाई के बाद, हाईकोर्ट ने यूनियन की याचिका को पूरी तरह से खारिज कर दिया।
अब रेलवे प्रशासन ने फिर से नोटिस जारी करते हुए यूनियन से कार्यालय और सभागार तत्काल खाली करने को कहा है।
यूनियन को लगातार मिल रहा था विरोध
रेलवे मजदूर संघ के सचिव अब्दुल खालिक ने बताया कि यह मुद्दा काफी समय से चर्चा में था और इसे जबलपुर मुख्यालय में पीएनएम बैठक के दौरान भी उठाया गया था। संघ ने मांग की थी कि जिस यूनियन को मान्यता नहीं है, उसे रेलवे की परिसंपत्तियों का उपयोग करने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए।
रेलवे प्रशासन ने अदालत में भी मजबूती से अपना पक्ष रखा, जिसका परिणाम यह रहा कि मात्र चार महीनों में कोर्ट ने यूनियन के विरुद्ध फैसला दे दिया।
बैंक सोसाइटी और उपभोक्ता भंडार पर भी संकट
पश्चिम-मध्य रेलवे एम्प्लाई यूनिय द्वारा कोटा और अन्य स्थानों पर बैंकिंग सहकारी समितियां और उपभोक्ता भंडार  संचालित किए जा रहे थे। अब जब यूनियन से ऑफिस खाली कराया जा रहा है, तो इन संस्थाओं के भविष्य पर भी खतरा मंडरा रहा है। रेलवे नियमों के अनुसार, केवल मान्यता प्राप्त यूनियन ही रेलवे परिसरों में इस तरह की आर्थिक गतिविधियाँ चला सकती हैं।
पदाधिकारियों का डेपुटेशन भी रद्द
चुनाव में हार के बाद पश्चिम-मध्य रेलवे एम्प्लाई यूनियन के महामंत्री मुकेश गालव और अन्य पदाधिकारियों का  प्रतिनियुक्ति भी रद्द कर दिया गया था। वे नियमित ड्यूटी पर लौट चुके थे। हालांकि, बाद में मुकेश गालव ने अपना तबादला एक अन्य जोन में करवा लिया और वहीं से उन्हें पुनः डेपुटेशन मिल गया। गौरतलब है कि मुकेश गालव मार्च 2026 में रिटायर होने वाले हैं
रेलवे ने यूनियन को दोबारा नोटिस जारी कर साफ कर दिया है कि कोई मान्यता नहीं, कोई सुविधा नहीं। यदि यूनियन द्वारा आदेशों की अवहेलना की जाती है, तो रेलवे प्रशासन सख्त कार्रवाई कर सकता है, जिसमें जबर्दस्ती खाली कराना और संपत्ति अधिग्रहण की कार्यवाही शामिल हो सकती है।

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