राहुल गांधी की विदेश यात्राएं: भाजपा के लिए लाभ और हानि का खेल

*नई दिल्ली*। कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी की विदेश यात्राओं को लेकर भाजपा अक्सर तीखी प्रतिक्रिया देती है। राहुल के विदेश दौरे पर दिए गए भाजपा और आरएसएस के विरोधी बयान भाजपा के लिए एक दोधारी तलवार बन जाते हैं। जहां इन बयानों से भाजपा को राजनीतिक हमला करने का अवसर मिलता है, वहीं राहुल गांधी की अंतरराष्ट्रीय छवि मजबूत होने से भाजपा को कुछ राजनीतिक नुकसान भी झेलना पड़ सकता है।

**टेक्सास यात्रा और भाजपा का पलटवार**

9 सितंबर को टेक्सास में हुए कार्यक्रम में राहुल गांधी ने फिर से भाजपा और आरएसएस पर निशाना साधा। उन्होंने भाजपा पर संविधान पर हमला करने और भय खत्म करने का आरोप लगाया। इस दौरान इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा ने राहुल गांधी को ‘पप्पू’ न कहकर परिचय दिया, जिस पर भाजपा ने तंज कसते हुए कहा कि पित्रोदा को ऐसा परिचय देने की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि उन्होंने भी राहुल को पप्पू मान लिया है।

**1. नेतृत्व क्षमता पर भाजपा की आलोचना**

भाजपा का यह दावा है कि राहुल गांधी नेतृत्व की क्षमता में कमजोर हैं और देश की समस्याओं को हल करने में अक्षम हैं। लेकिन जब राहुल विदेश में अपने विचारों को स्पष्ट और तर्कसंगत ढंग से रखते हैं, तो भाजपा का यह नैरेटिव कमजोर पड़ सकता है। खासकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जब राहुल गांधी की छवि एक बौद्धिक नेता के रूप में बनती है, तो ‘पप्पू’ की छवि धुंधली हो जाती है।

**2. विदेशी मीडिया में बयानबाजी से भाजपा की चिंताएं**

राहुल गांधी की विदेश यात्राओं के दौरान अंतरराष्ट्रीय मीडिया में दिए गए बयानों से भाजपा को आलोचना का सामना करना पड़ता है। जब वे लोकतंत्र, मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मुद्दों पर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करते हैं, तो भाजपा के लिए यह एक चुनौती बन जाता है। यह भाजपा की वैश्विक छवि को धक्का पहुंचा सकता है, जिसे मोदी सरकार ने लंबे समय से संवारने का काम किया है।

**3. राहुल की वैश्विक पहचान से भाजपा परेशान**

राहुल गांधी की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय पहचान भाजपा के लिए एक चुनौती है। उनके विदेश दौरे और भारतीय प्रवासी समुदाय के साथ संवाद उन्हें एक प्रभावशाली वैश्विक नेता के रूप में प्रस्तुत करते हैं। यह स्थिति भाजपा के लिए चिंता का कारण है, खासकर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार वैश्विक मंचों पर भारत की सकारात्मक छवि को लेकर काफी सतर्क रहती है।

**4. विपक्ष में राहुल का कद**

राहुल गांधी की विदेश यात्राओं से विपक्षी दलों के बीच उनका कद भी बढ़ता है। विपक्षी पार्टियां राहुल को भाजपा के खिलाफ एक मजबूत नेता के रूप में देखने लगती हैं, जिससे भाजपा की सत्ता में वापसी की संभावना पर असर पड़ सकता है। यह स्थिति विपक्षी दलों को एकजुट करने में राहुल गांधी की भूमिका को और मजबूत कर सकती है।

**5. युवाओं से जुड़ाव: भाजपा के लिए एक और चुनौती**

राहुल गांधी की विदेश यात्राओं का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि वे वहां के भारतीय युवाओं से संवाद करते हैं। ये युवा, जो विदेशों में पढ़ाई या काम कर रहे हैं, भारतीय राजनीति में बदलाव की उम्मीद रखते हैं। राहुल गांधी का इन युवाओं के साथ जुड़ाव उन्हें एक प्रगतिशील और आधुनिक नेता के रूप में प्रस्तुत करता है, जो भाजपा के पारंपरिक नेतृत्व के लिए चुनौती बन

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