उपराष्ट्रपति धनखड़ इस्तीफा प्रकरण में राष्ट्रपति भवन के विरोधाभासी जवाब से उठे सवाल

नई दिल्ली। भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा अब एक राजनीतिक और प्रशासनिक रहस्य बनता जा रहा है। इस मुद्दे को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता अजय वासुदेव बोस द्वारा राष्ट्रपति भवन से मांगी गई जानकारी ने और भी भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है।

दरअसल, राष्ट्रपति भवन से इस संबंध में दो अलग-अलग जवाब सामने आए हैं।

पहला जवाब 20 अगस्त को दिया गया, जिसमें स्पष्ट कहा गया कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा इस्तीफा देने की कोई जानकारी राष्ट्रपति भवन को नहीं है।

वहीं, दूसरा जवाब 4 सितंबर को आया, जिसमें बताया गया कि तत्कालीन उपराष्ट्रपति धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की थी।


इन दोनों विरोधाभासी जवाबों ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर एक ही सवाल पर दो अलग-अलग उत्तर क्यों? क्या राष्ट्रपति भवन की ओर से कोई जानकारी छुपाई गई है या फिर प्रशासनिक स्तर पर हुई गड़बड़ी इसका कारण है?

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह स्थिति न केवल संवैधानिक पदों की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न लगाती है बल्कि लोकतांत्रिक जवाबदेही को भी कमजोर करती है। यदि उपराष्ट्रपति का इस्तीफा वास्तव में हुआ था तो उसकी संवैधानिक प्रक्रिया क्या रही और यदि नहीं हुआ तो दूसरा जवाब क्यों दिया गया?

अब बड़ा सवाल यह है कि कौन सा जवाब सच है और कौन सा झूठ? क्या राष्ट्रपति भवन को भी दबाववश या किसी कारणवश विरोधाभासी जानकारी देनी पड़ रही है? इस पूरे मामले ने न केवल जनमानस की जिज्ञासा बढ़ा दी है बल्कि संवैधानिक संस्थाओं की विश्वसनीयता पर भी सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं।
L

Exit mobile version