नई दिल्ली/फिरोजपुर। देश के लिए समर्पण केवल वर्दी में ही नहीं, बल्कि निस्वार्थ सेवा में भी झलकता है—इस बात को सच कर दिखाया है पंजाब के फिरोजपुर सीमा क्षेत्र के एक युवा बालक श्रवण सिंह ने। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना की टुकड़ी जब पंजाब में फिरोजपुर सीमा के पास उनके परिवार के खेत पर तैनात थी, तब श्रवण सिंह ने अद्भुत मानवीय संवेदना और देशभक्ति का परिचय देते हुए जवानों की सेवा की।
पानी से लेकर लस्सी और आइसक्रीम तक—निस्वार्थ सेवा
कठिन ड्यूटी और भीषण गर्मी के बीच श्रवण सिंह ने अपने घर से रोज़ाना जवानों के लिए पानी, दूध, लस्सी, चाय और यहां तक कि आइसक्रीम भी पहुंचाई। बिना किसी अपेक्षा के, बिना किसी प्रचार के—केवल एक भावना के साथ कि “देश की रक्षा करने वाले हमारे अपने हैं।”
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मान
श्रवण सिंह के इस प्रेरक और सराहनीय कार्य को देश ने पहचाना। उन्हें प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया—जो बच्चों द्वारा किए गए असाधारण कार्यों के लिए भारत सरकार का सर्वोच्च सम्मान है। यह पुरस्कार न केवल श्रवण की सेवा-भावना का सम्मान है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि देशभक्ति उम्र नहीं देखती।
सीमा पर बसे परिवारों की भावना
यह घटना सीमा क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों और सैनिकों के बीच अटूट संबंध को भी उजागर करती है। खेत, गांव और परिवार—सब मिलकर जब सैनिकों के साथ खड़े होते हैं, तब राष्ट्रीय सुरक्षा एक साझा जिम्मेदारी बन जाती है।
प्रेरणा की कहानी
श्रवण सिंह की कहानी देश के हर बच्चे और युवा के लिए प्रेरणा है कि छोटे-छोटे प्रयास भी बड़े बदलाव ला सकते हैं। सेवा, संवेदना और सम्मानnयही सच्ची देशभक्ति की पहचान है।
सलाम है श्रवण सिंह को और उन सभी बच्चों को, जो अपने कर्मों से भारत का भविष्य उज्ज्वल बनाते हैं।
देशभक्ति की मिसाल: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जवानों की सेवा करने वाले श्रवण सिंह को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार
