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दूध नहीं, सफेद ज़हर! : मुंबई के अंधेरी पश्चिम कपासवाड़ी में मिलावटी दूध माफिया का खौफनाक सच, बच्चों की सेहत से खुला खेल

मुंबई। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में शुद्ध दूध मिलना अब किसी जंग से कम नहीं रह गया है। खासकर अंधेरी पश्चिम के कपासवाड़ी क्षेत्र में खुलेआम चल रहे मिलावटी दूध के गोरखधंधे ने आम जनता की सेहत पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह अवैध कारोबार सीधे तौर पर बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा है। हालात इतने भयावह हैं कि मासूम बच्चों के गिलास में दूध नहीं, बल्कि सफेद ज़हर परोसा जा रहा है, और सिस्टम आंखों पर पट्टी बांधे बैठा है।

कैसे तैयार किया जा रहा है नकली दूध?

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, दूध माफिया द्वारा खतरनाक और रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल कर नकली दूध तैयार किया जा रहा है। इसमें डिटर्जेंट पाउडर,यूरिया, साबुन का घोल, रिफाइंड ऑयल, और अन्य सिंथेटिक केमिकल शामिल किए जाते हैं, जो देखने में दूध जैसे लगते हैं लेकिन सेहत के लिए अत्यंत घातक हैं।


एक लीटर से दो लीटर का खेल

चौंकाने वाला खुलासा यह है कि एक लीटर असली दूध में पानी और केमिकल मिलाकर दो लीटर नकली दूध तैयार किया जा रहा है। यही मिलावटी दूध रोज़ाना घर-घर सप्लाई किया जा रहा है, जिसे लोग भरोसे के साथ अपने बच्चों को पिला रहे हैं।

सप्लाई चेन का काला सच

जानकारी के मुताबिक दूध सीधे दूध सेंटर से ग्राहकों तक नहीं पहुँचता। पहले दूध की ओरिजिनल थैलियां दूध माफिया के अड्डों पर ले जाई जाती हैं, जहां थैलियां खोलकर उनमें मिलावट की जाती है। इसके बाद उसी दूध से नई दो थैलियां बनाकर बाजार में सप्लाई कर दी जाती हैं। यह पूरा खेल सुनियोजित तरीके से लंबे समय से चल रहा है।

सेहत पर जानलेवा असर

डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय तक ऐसा मिलावटी दूध पीने से शरीर धीरे-धीरे अंदर से खत्म हो जाता है। इसके गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं किडनी फेल होने का खतरा, लिवर डैमेज, बच्चों की शारीरिक व मानसिक ग्रोथ रुकना, महिलाओं में कैल्शियम की भारी कमी, पेट, त्वचा और आंखों से जुड़ी गंभीर बीमारियां।


सवालों के घेरे में सिस्टम

सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतने बड़े स्तर पर चल रहे इस मिलावटी दूध के कारोबार पर खाद्य सुरक्षा विभाग, नगर निगम और प्रशासन की नजर क्यों नहीं पड़ रही? स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि जल्द सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह सफेद ज़हर न जाने कितनी जिंदगियां निगल जाएगा। यह मामला सिर्फ मिलावट का नहीं, बल्कि जनस्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर अपराध है, जिस पर तुरंत ठोस कदम उठाना समय की सबसे बड़ी जरूरत बन चुका है।

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