भारतीय रेल की धड़कन: ट्रेन मैनेजर की भूमिका और अधिकारों पर NFIR के 31वें राष्ट्रीय अधिवेशन में गूंजा दमदार ज्ञापन

भोपाल। भारतीय रेल के हजारों ट्रेन मैनेजर (Guard) ने अपनी आवाज़ बुलंद करते हुए राष्ट्रीय रेल मजदूर संघ (NFIR) के 31वें राष्ट्रीय अधिवेशन में एक विस्तृत और तथ्यपूर्ण ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन को अखिल भारतीय ट्रेन मैनेजर समूह के प्रतिनिधि मंडल—जॉइंट जनरल सेक्रेटरी रोमेश चौबे, राकेश श्रीवास और एस.एन. सहगल—के नेतृत्व में NFIR और NC JCM समिति के समक्ष पेश किया गया। इसमें ट्रेन मैनेजर को भारतीय रेल की “धड़कन” और सुरक्षा का असली प्रहरी बताया गया।
वीर शहीदों को श्रद्धांजलि
ज्ञापन की शुरुआत उन ट्रेन मैनेजरों को नमन से हुई, जिन्होंने ब्रेक वैन की बदतर परिस्थितियों में अपने प्राण गंवाए। श्री कमलकांत (BJU) और कुमार देवेंद्र (झांसी) जैसी घटनाएं बताती हैं कि हर साल 100 से अधिक ट्रेन मैनेजर या तो गंभीर रूप से घायल होते हैं या अपनी जान गंवाते हैं।
सुरक्षा और सतर्कता का प्रतीक
ट्रेन मैनेजर रेलफ्रैक्चर, ब्रेक बाइंडिंग, हॉट एक्सल, ट्रैक सबसिडेंस और ट्रेन पार्टिंग जैसी घटनाओं की पहचान कर त्वरित कार्रवाई करते हैं। DRM द्वारा सम्मानित श्री अमित सरकार इसका उदाहरण हैं, जिन्होंने ब्रेक बाइंडिंग से उठते धुएं को देखकर बड़ी दुर्घटना टाल दी। बच्चों की तस्करी रोकने से लेकर मेडिकल इमरजेंसी और ACP घटनाओं में त्वरित निर्णय तक—हर 15 मिनट में एक जान और हर 6 घंटे में एक हादसा ट्रेन मैनेजर की सतर्कता से टलता है।
ब्रेक वैन की बदतर स्थिति
ज्ञापन में बताया गया कि ब्रेक वैन में न पीने का साफ पानी है, न टॉयलेट, न बिजली। महिला ट्रेन मैनेजरों को रात की ड्यूटी में अतिरिक्त खतरे झेलने पड़ते हैं।
उपेक्षित वेतन और पदोन्नति
स्नातक योग्यता से भर्ती होने वाले ट्रेन मैनेजर का ग्रेड पे (GP 4200) लंबे समय से समान है। Goods, Passenger और Express सभी में वेतन बराबर है, जबकि काम और जोखिम कई गुना अधिक हैं। MACP, Mileage Allowance और Night Duty Allowance जैसे मामलों में भी वे उपेक्षित हैं।
अंतरराष्ट्रीय तुलना और वैज्ञानिक आधार
ज्ञापन में यह भी तर्क दिया गया कि लगातार अनियमित ड्यूटी से Biological Clock Disruption, Chronic Fatigue Syndrome और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियां बढ़ती हैं। वहीं जर्मनी, जापान और इंग्लैंड जैसे देशों में ट्रेन संचालन स्टाफ को कहीं अधिक वेतन और सुविधाएं मिलती हैं।
समापन: “रेल की धड़कन को मिले न्याय”
ज्ञापन के अंत में कहा गया—“ट्रेन मैनेजर के बिना भारतीय रेल की सुरक्षा, समयबद्धता और संचालन की कल्पना असंभव है। ब्यूरोक्रेटिक असमानताओं को खत्म कर कैडर को मजबूत किया जाए।” यहां तक कि भारतीय रेल का Mascot “भोलू” भी एक ट्रेन मैनेजर (Guard) का प्रतीक है, जो उनकी अहमियत को दर्शाता है।