दंतेवाड़ा में नक्सल विरोधी अभियान की ऐतिहासिक सफलता, कुख्यात माओवादी कमांडर हिडमा ढेर

लाल आतंक के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी जीत, अर्बन नक्सल नेटवर्क को करारा झटका

दंतेवाड़ा । छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियान  को ऐसी अभूतपूर्व सफलता मिली है, जिस पर यकीन करना कई लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है। सुरक्षा एजेंसियों को वर्षों से चुनौती दे रहे कुख्यात माओवादी कमांडर हिडमा  और उसकी पत्नी का खात्मा हो गया है। इसे लाल आतंक के खिलाफ अब तक की सबसे निर्णायक जीत माना जा रहा है, जिसने पूरे नक्सल नेटवर्क, विशेषकर अर्बन नक्सलियों को बड़ा झटका दिया है।

नक्सल विरोधी अभियान ने रचा इतिहास, हिडमा का खात्मा बड़ी जीत

सूत्रों के अनुसार पिछले कुछ महीनों से सुरक्षा बल हिडमा की गतिविधियों पर लगातार नज़र बनाए हुए थे। कुछ दिन पहले सीआरपीएफ के चीफ ने उसके परिवार से मुलाकात की थी और अंतिम बार सरेंडर की गुजारिश भी की थी। उस समय ही स्पष्ट हो गया था कि सरकार शांतिपूर्ण रास्ते की अंतिम कोशिश कर रही है। लेकिन हिडमा ने आत्मसमर्पण का मौका ठुकरा दिया। इसके बाद सुरक्षा एजेंसियों ने एक संयुक्त रणनीतिक अभियान चलाया, जिसके तहत 2010 के दंतेवाड़ा हमले के मुख्य साजिशकर्ता और दक्षिण बस्तर का सबसे खूंखार माओवादी नेता हिडमा को मार गिराया गया। उसकी पत्नी, जो माओवादी संगठन में महत्वपूर्ण पद पर तैनात थी, वह भी इस कार्रवाई में ढेर हो गई।

लाल आतंक के खिलाफ निर्णायक प्रहार

हिडमा की मौत को नक्सल उन्मूलन में टर्निंग प्वाइंट बताया जा रहा है। वह न सिर्फ दंतेवाड़ा के अनेक बड़े हमलों का मास्टरमाइंड था, बल्कि दंडकारण्य स्पेशल जोन कमेटी  का मुख्य नेतृत्वकर्ता भी रहा। उसकी रणनीति और नेटवर्क नक्सली संगठन का आधार स्तंभ माने जाते थे।

विशेषज्ञों के अनुसार हिडमा के मारे जाने से जंगल आधारित नक्सली कैंपों के साथ-साथ अर्बन नक्सलियों की सप्लाई चेन, लॉजिस्टिक सपोर्ट और सूचना तंत्र पर भी भारी असर पड़ेगा। यह पूरे नक्सली नेटवर्क के लिए मनोबल तोड़ने वाली सबसे बड़ी घटना है।

नक्सल समस्या से जूझ रहे छत्तीसगढ़ और देश के लिए यह ऐतिहासिक उपलब्धि है। सुरक्षा बलों की इस सफलता ने ‘लाल आतंक’ की रीढ़ तोड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम रखा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह ऑपरेशन आने वाले समय में नक्सलवाद के पूर्ण खात्मे की नींव साबित हो सकता है।

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