DRDO-ISRO को मिला कुल ₹36,898 करोड़, जबकि SC-ST और अल्पसंख्यक मंत्रालयों को ₹2.93 लाख करोड़ — क्या वैज्ञानिक शोध से ज्यादा ज़रूरी हैं जातिगत योजनाएं?

नई दिल्ली। भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के केंद्रीय बजट में अनुसंधान, रक्षा और अंतरिक्ष विज्ञान की तुलना में सामाजिक न्याय से जुड़े मंत्रालयों को कहीं अधिक धनराशि आवंटित की है। आंकड़ों पर नजर डालें तो DRDO और ISRO का कुल बजट ₹36,897.75 करोड़ है, जबकि अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालयों के लिए कुल ₹2.93 लाख करोड़ से अधिक का बजट तय किया गया है।

विज्ञान और रक्षा क्षेत्र बनाम सामाजिक कल्याण बजट:

DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन): ₹23,855 करोड़

ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन): ₹13,042.75 करोड़

संयुक्त कुल: ₹36,897.75 करोड़


वहीं दूसरी ओर:

SC कल्याण बजट: ₹1,65,493 करोड़

ST कल्याण बजट: ₹1,24,909 करोड़

अल्पसंख्यक मंत्रालय: ₹3,183.24 करोड़

संयुक्त कुल: ₹2,93,585.24 करोड़


आंकड़ों की तुलना:

DRDO और ISRO का संयुक्त बजट, SC-ST और अल्पसंख्यक मंत्रालयों के कुल बजट का महज 12.57% है।
दूसरे शब्दों में कहें तो वैज्ञानिक शोध और रक्षा तकनीक को सरकार ने जातिगत और धार्मिक आधार पर चल रही योजनाओं की तुलना में केवल आठवां हिस्सा आवंटित किया है।

क्या वैज्ञानिक विकास को मिल रही है पर्याप्त प्राथमिकता?

यह तुलना एक बड़ी बहस को जन्म देती है:
क्या भारत जैसे विकासशील देश में, जहां अंतरिक्ष विज्ञान (जैसे चंद्रयान और गगनयान मिशन) और रक्षा तकनीक (जैसे स्वदेशी मिसाइल सिस्टम) भविष्य की रणनीतिक ताकत हैं, वहां DRDO और ISRO जैसे संस्थानों को इतना सीमित बजट देना वाजिब है?

विशेषज्ञों का मानना है कि अंतरिक्ष और रक्षा अनुसंधान में निवेश भारत की वैश्विक स्थिति और आत्मनिर्भरता (Aatmanirbhar Bharat) के लिए अत्यंत आवश्यक है। वहीं सामाजिक कल्याण कार्यक्रम ज़रूरी हैं, लेकिन संतुलन बनाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष: जहां एक ओर सामाजिक न्याय और समावेशिता के लिए बजट में बड़ा हिस्सा देना स्वागतयोग्य है, वहीं यह चिंता का विषय भी है कि वैज्ञानिक संस्थाओं को अपेक्षाकृत कम समर्थन मिल रहा है।
DRDO और ISRO जैसे संस्थान न केवल भारत को सुरक्षा और तकनीकी मोर्चे पर सशक्त बनाते हैं, बल्कि यह विश्व मंच पर भारत की प्रतिष्ठा को भी ऊंचा करते हैं।

क्या अब वक्त नहीं आ गया है कि बजट आवंटन में विज्ञान, नवाचार और रणनीतिक अनुसंधान को भी प्राथमिकता दी जाए?

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