नई दिल्ली/सीमावर्ती क्षेत्र। भारत और बांग्लादेश के बीच खींची गई अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा (International Border) दुनिया की सबसे जटिल सीमाओं में से एक मानी जाती है। कई इलाकों में यह सीमा सीधे घरों, गलियों और खेतों के बीच से होकर गुजरती है, जिससे हालात बेहद असामान्य और संवेदनशील बन जाते हैं। कहीं किसी घर का एक कमरा भारत में पड़ता है तो दूसरा कमरा बांग्लादेश में, तो कहीं एक ही मकान के दो दरवाजे—एक भारत में और दूसरा बांग्लादेश में खुलते हैं।
सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी इसी अनोखी सच्चाई के साथ चलती है। सीमा रेखा के कारण कई बार परिवार के सदस्य अलग-अलग देशों में माने जाते हैं, जबकि वे एक ही छत के नीचे रहते हैं। ऐसे क्षेत्रों में घुसपैठ, तस्करी और अवैध आवाजाही की आशंका हमेशा बनी रहती है।
इसी चुनौतीपूर्ण भूगोल के बीच सीमा सुरक्षा बल (BSF) 24×7 सतर्कता के साथ तैनात है। आधुनिक तकनीक, नियमित गश्त और खुफिया सूचनाओं के आधार पर BSF ने कई बार अवैध घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम किया है। जब भी सुरक्षा में जरा-सी ढील होती है, असामाजिक तत्व इसका फायदा उठाने की कोशिश करते हैं, लेकिन BSF की चौकसी से घुसपैठिए पकड़े जाते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत–बांग्लादेश सीमा पर मानवीय संवेदनशीलता और राष्ट्रीय सुरक्षादोनों का संतुलन बनाए रखना जरूरी है। स्थानीय लोगों की सहूलियत के साथ-साथ सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना समय की मांग है। केंद्र और राज्य सरकारें सीमावर्ती विकास कार्यों, पहचान प्रबंधन और फेंसिंग परियोजनाओं पर लगातार काम कर रही हैं।
यह सीमा केवल एक लकीर नहीं, बल्कि सुरक्षा, कूटनीति और मानवीय पहलुओं का संगम है—जहां BSF की सतर्कता देश की सीमाओं की रक्षा की मजबूत ढाल बनी हुई है।
भारत–बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा: घरों और गलियों के बीच खिंची लकीर, BSF की सतर्कता से नाकाम होती घुसपैठ
