लोकसभा चुनाव में BJP की हार: RSS ने उजागर कीं पार्टी की कमियां
![](https://www.prajaparkhi.page/wp-content/uploads/2024/06/Screenshot_20240611_163426_Chrome-780x359.jpg)
लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने पार्टी की हार पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। RSS ने भाजपा कार्यकर्ताओं की अति आत्मविश्वास को इस हार की मुख्य वजह बताया है। संघ के मुखपत्र ‘ऑर्गनाइजर’ में छपे एक लेख में लिखा गया है कि भाजपा कार्यकर्ता जनता की आवाज़ सुनने के बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का आनंद ले रहे थे।
सीटों में आई गिरावट
भले ही नरेंद्र मोदी की सरकार तीसरी बार बनी हो, लेकिन भाजपा इस बार पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर सकी। उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में पार्टी का प्रदर्शन कमजोर रहा। 2019 में 303 सीटें जीतने वाली भाजपा इस बार केवल 240 सीटों पर सिमट गई।
भाजपा के लिए ‘रियलिटी चेक’: रतन शारदा
आरएसएस सदस्य रतन शारदा ने लेख में लिखा, “यह चुनाव परिणाम भाजपा के लिए एक ‘रियलिटी चेक’ है।” उन्होंने कहा कि भाजपा के नेता चुनावी सहयोग के लिए स्वयंसेवकों तक नहीं पहुंचे और उन कार्यकर्ताओं को तवज्जो नहीं दी जो जमीन पर काम कर रहे थे। शारदा के अनुसार, पार्टी ने उन कार्यकर्ताओं पर भरोसा किया जो ‘सेल्फी’ के सहारे प्रचार कर रहे थे।
महाराष्ट्र में भाजपा कार्यकर्ताओं में आक्रोश
लेख में आगे लिखा गया कि महाराष्ट्र में भाजपा की ब्रांड वैल्यू कम हो गई है। एनसीपी (शरद पवार गुट) के साथ गठबंधन ने पार्टी कार्यकर्ताओं में आक्रोश पैदा किया। भाजपा ने 2019 में महाराष्ट्र की 48 सीटों में से 23 जीती थीं, जबकि इस बार केवल नौ सीटें जीत सकी। शिंदे गुट की शिवसेना को सात और अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी को एक सीट मिली।
जनता से जुड़ना जरूरी: रतन शारदा
रतन शारदा ने आगे कहा कि मतदाताओं तक पहुंचना, पार्टी के एजेंडे को समझाना, साहित्य और वोटर कार्ड वितरित करना पार्टी की जिम्मेदारी है। उन्होंने भाजपा को चेतावनी दी कि जनता की आवाज सुनने और कार्यकर्ताओं को सम्मान देने में असफल होने का परिणाम पार्टी को भुगतना पड़ेगा।
कांग्रेसियों का समावेश और ‘भगवा आतंक’
शारदा ने किसी नेता का नाम लिए बिना कहा कि भाजपा में कई कांग्रेस नेताओं को शामिल किया गया, जिन्होंने ‘भगवा आतंक’ और 26/11 मुंबई आतंकी हमले को आरएसएस की साजिश करार दिया था। इससे पार्टी के मौलिक कार्यकर्ताओं में नाराजगी बढ़ी।