
उम्मीद पोर्टल पर केवल 28% संपत्तियाँ ही रजिस्टर, बाकी 72% अब अवैध मानी जाएंगी
नई दिल्ली। देशभर की Waqf Properties को डिजिटाइज और प्रमाणित तरीके से दर्ज करने के लिए बनाए गए Umeed Portal पर रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया की सच्चाई चौंकाने वाली सामने आई है। छह महीने की तय समय सीमा में देश के मुतवल्लियों (Waqf संपत्तियों के प्रबंधकों) ने केवल 28% संपत्तियाँ ही पोर्टल पर रजिस्टर कराई हैं, जबकि 72% संपत्तियाँ अनरजिस्टर्ड रह गईं।
Supreme Court ने डेडलाइन बढ़ाने से किया साफ़ इंकार
मुतवल्लियों और कुछ Waqf बोर्डों ने सुप्रीम कोर्ट से रजिस्ट्रेशन की अवधि बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने कड़े शब्दों में इस अनुरोध को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन के लिए पर्याप्त समय दिया गया था और अब समयसीमा बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है।इस फैसले के बाद जो संपत्तियाँ उम्मीद पोर्टल पर रजिस्टर्ड नहीं हुईं, वे अब कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त नहीं रहेंगी, यानी उनका दर्जा अवैध हो जाएगा।
क्या मतलब है 72% संपत्तियों का अनरजिस्टर्ड रह जाना?
वर्षों से Waqf के नाम पर दावा की गई कई संपत्तियाँ अब कानूनी रूप से अस्तित्वहीन मानी जाएंगी। अवैध दर्ज संपत्तियों पर अब कानूनी कब्जा या नियंत्रण नहीं रहेगा। सरकार और स्थानीय प्रशासन ऐसे मामलों में सीधी कार्रवाई कर सकता है। यह रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया संपत्तियों के वास्तविक स्वामित्व और प्रबंधन में पारदर्शिता लाने का बड़ा कदम माना जा रहा है।
Umeed Portal क्यों बना?
देशभर में Waqf संपत्तियों को लेकर गलत कब्जे, फर्जी दावे, अनियमित प्रबंधन और राजनीतिक संरक्षण जैसे गंभीर आरोप लगातार सामने आते रहे हैं। इन्हें रोकने और डेटा को पूरी तरह डिजिटल बनाने के लिए केंद्र सरकार ने Umeed Portal की शुरुआत की थी।
निष्कर्ष
Supreme Court के फैसले के बाद अब स्पष्ट है कि जो मुतवल्ली 6 महीने में अपनी संपत्तियों को प्रमाणिक रूप से दर्ज नहीं करा पाए, उनकी संपत्तियाँ कानूनन वैध नहीं मानी जाएंगी। यह कदम Waqf संपत्तियों की पारदर्शिता और जवाबदेही को नया आयाम देने वाला साबित हो सकता है।



