सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: स्कूलों, अस्पतालों और सड़कों से आवारा कुत्तों को हटाने के निर्देश

जनसुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर सर्वोच्च न्यायालय का सख्त रुख, कहा  कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं

नई दिल्ली। देश में लगातार बढ़ रही आवारा कुत्तों के हमलों की घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए कहा है कि अब सड़कों, स्कूलों, अस्पतालों, कॉलेजों और राजमार्गों से सभी आवारा कुत्तों को तुरंत हटाया जाए। न्यायालय ने सभी राज्य सरकारों को आदेश दिया है कि वे विस्तृत कार्ययोजना (Action Plan) बनाकर अदालत में पेश करें और यह सुनिश्चित करें कि सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में रखा जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जनसुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और किसी भी स्तर पर लापरवाही या ढिलाई को स्वीकार नहीं किया जाएगा। अदालत ने कहा कि हर राज्य और नगर निकाय यह सुनिश्चित करे कि शेल्टर होम्स में कुत्तों की उचित देखभाल, भोजन और स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराई जाए।

भारत में आवारा कुत्तों का बढ़ता आतंक

देश के कई हिस्सों में हाल के वर्षों में आवारा कुत्तों के हमलों से मासूम बच्चों, बुजुर्गों और राहगीरों की मौतें हो चुकी हैं। कई नगर निगम और स्थानीय निकाय इस समस्या से निपटने में असफल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि भारत जैसे विशाल देश में मानव जीवन की सुरक्षा को प्राथमिकता देना जरूरी है, क्योंकि किसी भी सभ्य समाज में सड़कों पर आवारा पशुओं का आतंक अस्वीकार्य है।

कुत्ता प्रेमियों को सुप्रीम कोर्ट की नसीहत

न्यायालय ने अपने निर्णय में यह भी कहा कि कुत्ता प्रेमियों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। सिर्फ सड़कों पर बिस्किट, रोटी या बचा हुआ खाना डाल देना जीवदया नहीं है। यदि कोई व्यक्ति वास्तव में पशुप्रेमी है तो उसे शेल्टर होम जाकर वहां सेवा करनी चाहिए, और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कुत्तों को वहां सही देखभाल मिल रही है।

यह निर्देश उन घटनाओं की पृष्ठभूमि में आया है जब कई बार कुत्ता प्रेमियों और स्थानीय निवासियों में विवाद भी हुआ। अदालत ने स्पष्ट किया कि कुत्तों का स्थान सड़कों पर नहीं, शेल्टर होम्स में है।

राज्यों को मिली सख्त समयसीमा

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वे निर्धारित समयसीमा में एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर उसे कोर्ट में जमा करें। इसमें यह विवरण होगा कि

आवारा कुत्तों की संख्या कितनी है,

उन्हें कहाँ और कैसे स्थानांतरित किया जाएगा,

शेल्टर होम्स में कितनी क्षमता और सुविधाएँ हैं,

और भविष्य में आवारा कुत्तों की वृद्धि रोकने के क्या उपाय होंगे।


कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी भी राज्य या नगरपालिका की लापरवाही पर अदालत सख्त कार्रवाई करेगी।

जनसुरक्षा के साथ पशु कल्याण का संतुलन

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय एक संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है — जहाँ एक ओर नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोपरि रखा गया है, वहीं दूसरी ओर पशुओं के अधिकारों और देखभाल के प्रति भी संवेदनशीलता दिखाई गई है।

यह फैसला न केवल भारत में आवारा कुत्तों की समस्या के समाधान की दिशा में निर्णायक कदम है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सुरक्षित समाज और मानवीय करुणा दोनों साथ-साथ चल सकते हैं।

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