नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) मामले में पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर के एक पुजारी को अग्रिम जमानत प्रदान की है। यह जमानत 20 लाख रुपये ब्याज सहित भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) में तीन हफ्ते के भीतर जमा करने की शर्त पर दी गई है।
याचिकाकर्ता राजकुमार दैतापति, जो पीढ़ी दर पीढ़ी इस मंदिर के पुजारी हैं, पर विदेशी नागरिकों से जुड़े 232,568 अमेरिकी डॉलर की धोखाधड़ी का आरोप है। इन विदेशी नागरिकों ने पुजारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि उन्होंने मध्यस्थ के रूप में कार्य करते हुए धन का दुरुपयोग किया। विदेशी नागरिकों ने पुजारी को धन प्राप्त करने और विवाद सुलझाने के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी दी थी।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी और शर्तें
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि याचिकाकर्ता को विदेशी नागरिकों की ओर से 92 लाख रुपये मिलने थे, लेकिन अब तक केवल 80 लाख रुपये ही आरबीआई में जमा किए गए हैं। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि शेष 20 लाख रुपये ब्याज सहित जमा करने के बाद ही शिकायतकर्ताओं को राशि लौटाने की प्रक्रिया शुरू होगी।
अदालत ने कहा कि पक्षों के बीच हुए समझौते के अनुसार, यह सुनिश्चित करना याचिकाकर्ता की जिम्मेदारी है कि धनराशि समय पर जमा हो। इस शर्त के पूरा होने के बाद, शिकायतकर्ताओं को औपचारिकताओं के तहत राशि प्राप्त करने की अनुमति दी जाएगी।
मामले की गंभीरता और अदालत की राहत
यह फैसला पीएमएलए के तहत धोखाधड़ी के मामलों में अदालत की सख्त और शर्तों के साथ राहत देने की नीति को दर्शाता है। जगन्नाथ मंदिर के पुजारी के इस मामले ने धार्मिक और कानूनी क्षेत्रों में चर्चा को जन्म दिया है।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय मामले के अन्य पक्षों के लिए एक उदाहरण स्थापित करता है, जहां धोखाधड़ी और विवाद सुलझाने में कानूनी प्रक्रियाओं का पालन सुनिश्चित करना सर्वोपरि है।
पीएमएलए मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: जगन्नाथ मंदिर के पुजारी को अग्रिम जमानत, 20 लाख रुपये जमा करने की शर्त
