
भारतीय सेना के जवान की सुरक्षा खतरे में
नई दिल्ली/मऊ । भारत की सैन्य ताकत और जांबाज सैनिकों के बारे में पूरी दुनिया जानती है, लेकिन क्या आज हमारे सैनिक अपने ही देश में सुरक्षित हैं? यह सवाल तब खड़ा हुआ, जब मिजोरम के म्यांमार बॉर्डर पर तैनात एक आर्मी जवान छुट्टी पर अपने गृह क्षेत्र मऊ गया और वहां योगी सरकार के तहत पल रहे दबंगों के हमले का शिकार हो गया। दबंगों ने लाठी-डंडों से पीटकर इस जवान को लहूलुहान कर दिया।
हिमाचल की सुरक्षा से लेकर यूपी में जवानों की असुरक्षा:
यह घटना गंभीर रूप से उस सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करती है, जिसमें सैन्य जवानों तक को अब सुरक्षित नहीं छोड़ा जा रहा है। एक तरफ हमारे सैनिक देश की सीमा पर हर जंग जीत रहे हैं, लेकिन जब वे अपने घरों की तरफ लौटते हैं तो उन्हें अपने ही देश में असुरक्षित महसूस करना पड़ रहा है।
पुलिस की लापरवाही और दबंगों का बढ़ता आतंक:
आश्चर्य की बात यह है कि पीड़ित जवान द्वारा तहरीर देने के बावजूद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य में गुंडाराज का बोलबाला बढ़ चुका है, और आम आदमी से लेकर अब सैनिकों तक की सुरक्षा खतरे में है।
भाजपा सरकार का दोहरा रवैया:
वर्तमान में सत्ता में बैठी भा.ज.पा. सरकार के नेताओं के बड़े-बड़े भाषणों के बावजूद वास्तविकता कुछ और ही है। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री मंचों से महान घोषणाएं करते हैं, लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि उनके शासन में गुंडों और दबंगों का खौफ बढ़ चुका है, जिससे सेना के जवान भी आत्मरक्षा के लिए मजबूर हो रहे हैं।
एक घटना नहीं, पूरी व्यवस्था पर सवाल:
यह सिर्फ एक घटना नहीं है, बल्कि यह उन न्यायिक और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की विफलता का प्रतीक है, जिसमें किसान, मजदूर, और अब सैन्यकर्मी भी बिना सुरक्षा के रह रहे हैं। क्या यह हमारा समान अधिकार है कि हम अपने ही देश में सुरक्षित न हों?





