अल्फलाह यूनिवर्सिटी विवाद गहराया: 15 डॉक्टर लापता, तीन गिरफ्तार; विश्वविद्यालय पर दो FIR दर्ज

नई दिल्ली। हरियाणा स्थित अल्फलाह यूनिवर्सिटी लगातार विवादों में घिरती जा रही है। विश्वविद्यालय से जुड़े 15 डॉक्टरों के लापता होने और तीन डॉक्टरों की गिरफ्तारी के बाद अब यह मामला बड़े पैमाने पर कानून-व्यवस्था और सुरक्षा एजेंसियों की जांच के दायरे में आ गया है। पुलिस ने विश्वविद्यालय के खिलाफ दो FIR दर्ज की हैं और जांच को तेज गति से आगे बढ़ाया जा रहा है।
गायब डॉक्टरों और गिरफ्तारियों से बढ़ी चिंता
जांच एजेंसियों के अनुसार विश्वविद्यालय से जुड़े कुल 15 डॉक्टरों के अचानक गायब होने की सूचना गंभीर प्रश्न खड़े कर रही है। प्रारंभिक जांच में वित्तीय अनियमितताओं, फर्जी दस्तावेज़ों, और संदिग्ध गतिविधियों की भूमिका की जांच की जा रही है। इसी क्रम में पुलिस ने तीन डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है, जिनसे लगातार पूछताछ जारी है।
मौलाना अरशद मदनी का बयान और बढ़ी राजनीति
विवाद के बीच, जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी का बयान भी सुर्खियों में है। उन्होंने कहा कि न्यूयॉर्क का मेयर ममदानी हो सकता है, लंदन का मेयर ‘ख़ान’ हो सकता है, लेकिन हिंदुस्तान में कोई मुसलमान यदि किसी विश्वविद्यालय का कुलपति बनता है, तो उसे भी आज़म ख़ान की तरह जेल भेज दिया जाता है। उनके इस बयान ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। हालांकि जांच एजेंसियों का कहना है कि कार्रवाई पूरी तरह कानूनी आधार पर की जा रही है और इसका किसी समुदाय से संबंध नहीं है।
जांच एजेंसियों का पक्ष: विश्वविद्यालय पर गंभीर आरोप
अधिकारियों का कहना है कि अल्फलाह यूनिवर्सिटी के कुलपति या किसी कर्मचारी की कार्रवाई धर्म आधारित नहीं, बल्कि संदिग्ध गतिविधियों, वित्तीय गड़बड़ियों और गलत प्रयोग पर आधारित है। जांच में सामने आया है कि विश्वविद्यालय अवैध नेटवर्क और संदिग्ध गतिविधियों का केंद्र बनता जा रहा था, जिसके चलते कठोर कदम उठाए गए।
मामले पर देशभर में नजरें
अल्फलाह यूनिवर्सिटी विवाद अब एक बड़े शैक्षणिक और सुरक्षा मुद्दे में बदल चुका है। पुलिस, खुफिया विभाग और नियामक एजेंसियाँ हर पहलू की जांच कर रही हैं। आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियों तथा पूछताछ की संभावना जताई जा रही है। फिलहाल पूरे मामले पर देश की निगाहें टिकी हैं, और विश्वविद्यालय की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी जारी है।



