भोपाल में बाघों का नया कॉरिडोर विकसित होगा, रातापानी टाइगर रिजर्व से शहर बन रहा टाइगर मूवमेंट ज़ोन

भोपाल टाइगर कॉरिडोर अपडेट | मध्यप्रदेश वन्यजीव समाचार: हाल ही में टाइगर रिजर्व घोषित हुए रातापानी टाइगर रिजर्व के बाघ

अब भोपाल के शहरी ऑक्सीजन ज़ोन में सक्रिय रूप से देखे जा रहे हैं। पर्यावरणीय दृष्टिकोण से अहम यह क्षेत्र अब टाइगर मूवमेंट कॉरिडोर के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिससे बाघों को सुरक्षित आवागमन और प्रजनन के लिए अनुकूल वातावरण मिल सके।

वन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, रातापानी से लगे भोपाल शहरी सीमा क्षेत्र—जैसे कलियासोत, केरवा, समसगढ़ और समरधा—में वर्तमान में 18 से 22 बाघों का स्थायी मूवमेंट रिकॉर्ड किया गया है। अनुमान है कि रातापानी के लगभग 80 फीसदी बाघ समय-समय पर भोपाल के जंगलों की ओर आते हैं।

भोपाल सिटी फॉरेस्ट, खासकर केरवा और समरधा, बाघों को प्रजनन के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है। यही कारण है कि भोपाल के यह वन क्षेत्र अब बाघ प्रजनन और शोध केंद्र के रूप में भी शामिल किए गए हैं। बाघों की प्राकृतिक आवाजाही को ध्यान में रखते हुए वन विभाग अब रातापानी से भोपाल, रातापानी से देवास, और रातापानी से सतपुड़ा तक टाइगर कॉरिडोर के विकास की दिशा में काम कर रहा है।

इस पहल से भोपाल टाइगर सफारी, प्राकृतिक जैव विविधता, और वन्यजीव पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा, साथ ही इंसान-बाघ संघर्ष को कम करने में मदद मिलेगी।

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