पाम ऑयल कॉन्क्लेव 2025: भारत में पाम ऑयल पर तथ्य-आधारित राष्ट्रीय संवाद की नई शुरुआत

भोपाल ।  एशियन पाम ऑयल अलायंस, सॉलिडरीडाड और द सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के संयुक्त प्रयास से आयोजित पाम ऑयल कॉन्क्लेव 2025 सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। कार्यक्रम का मुख्य संदेश बेहद स्पष्ट रहा, भारत को पाम ऑयल पर वैज्ञानिक तथ्यों, पारदर्शिता और संतुलित जानकारी पर आधारित राष्ट्रीय संवाद की तात्कालिक आवश्यकता है, ताकि वर्षों से बनी भ्रांतियाँ दूर की जा सकें और उपभोक्ताओं को सही जानकारी मिल सके।

पाम ऑयल डायलॉग्स: सोच को बदलना, हेल्थ, मार्केट, क्लाइमेट थीम पर गहन चर्चा

कॉन्क्लेव में न्यूट्रिशन साइंस, मेडिकल प्रैक्टिस, एफएमसीजी, फूड प्रोसेसिंग, पत्रकारिता, अकादमिक जगत और इंडस्ट्री से जुड़े 200 से अधिक विशेषज्ञों ने भाग लिया। विशेषज्ञों ने बताया कि भारतीय उपभोक्ताओं तक पाम ऑयल के बारे में वैज्ञानिक और तथ्य-आधारित जानकारी पहुँचना आवश्यक है, जिससे वे स्वस्थ और सूचित विकल्प चुन सकें।

भारत को अपनी जरूरतों के अनुरूप संवाद की जरूरत : अतुल चतुर्वेदी

एशियन पाम ऑयल अलायंस के चेयरमैन अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि भारत लंबे समय से बाहरी नैरेटिव से प्रभावित रहा है, जबकि देश को अपनी वास्तविक आवश्यकताओं और परिस्थितियों के अनुरूप पाम ऑयल पर नई बातचीत शुरू करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह कॉन्क्लेव उपभोक्ता विश्वास बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण और समयानुकूल पहल है।

सस्टेनेबिलिटी और विज्ञान आधारित सप्लाई चेन पर जोर

सॉलिडरीडाड एशिया के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. शताद्रु चट्टोपाध्याय ने बताया कि पाम ऑयल से जुड़ी सूचनाएँ अक्सर अधूरी और भ्रामक होती हैं। उन्होंने इंडिया पाम ऑयल सस्टेनेबिलिटी फ्रेमवर्क के ज़रिए एक जिम्मेदार, विज्ञान आधारित और किसान केंद्रित सप्लाई चेन को बढ़ावा देने की पहल साझा की। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन के विशेषज्ञों ने पाम ऑयल के फैटी एसिड प्रोफाइल, भारतीय खानपान में इसके सुरक्षित उपयोग, और खाद्य सुरक्षा में इसकी अहम भूमिका पर तथ्य पेश किए। वरिष्ठ पत्रकार मृत्युंजय कुमार झा ने उपभोक्ताओं और मीडिया में पनपती चिंताओं के वैज्ञानिक उत्तर साझा करते हुए मिथकों को तोड़ने की आवश्यकता बताई।

पाम ऑयल भारत की पोषण सुरक्षा का व्यावहारिक समाधान : डॉ. सुरेश मोटवानी

APOA के सेक्रेटरी जनरल डॉ. सुरेश मोटवानी ने कहा कि पाम ऑयल केवल एक कमोडिटी नहीं है, बल्कि यह भारत की खाद्य और पोषण सुरक्षा को सशक्त बनाने वाला महत्वपूर्ण संसाधन है। गोदरेज एग्रोवेट के तेल पाम बिज़नेस प्रमुख सौगता नियोगी ने कहा कि स्वास्थ्य-जागरूक उपभोक्ताओं के लिए यह कॉन्क्लेव भारत को एक मजबूत और जिम्मेदार पाम ऑयल इकोसिस्टम विकसित करने का बड़ा अवसर देता है। SEA के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बी.वी. मेहता ने किसानों को वैज्ञानिक तकनीक, बेहतर बीज और आधुनिक प्रोसेसिंग से जोड़कर खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता बढ़ाने पर बल दिया।

विशेष प्रदर्शनी और पुस्तक विमोचन

कॉन्क्लेव में पाम ऑयल आधारित उत्पादों की आकर्षक प्रदर्शनी में रोज़मर्रा के खाद्य पदार्थों से लेकर नए वैल्यू-एडेड प्रोडक्ट्स तक की विस्तृत श्रृंखला प्रदर्शित की गई। हजारों आगंतुकों विशेषज्ञों, छात्रों, उद्यमियों और उपभोक्ताओं ने प्रदर्शनी में उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम में ऑयल पाम स्टैटिस्टिक्स इन इंडिया: ट्रेंड्स एंड इनसाइट्स पुस्तक का विमोचन भी किया गया, जिसमें भारतीय ऑयल पाम सेक्टर के ट्रेंड, नीतियाँ और भविष्य के अवसरों का विस्तृत विश्लेषण शामिल है।
वीडियो संदेशों में वैश्विक विशेषज्ञों ने सस्टेनेबिलिटी पर दिया जोर

विश्व खाद्य पुरस्कार विजेता प्रो. रतन लाल और CPOPC की सेक्रेटरी जनरल इज़ाना सलेह ने वीडियो संदेश के माध्यम से मिट्टी की सेहत, सस्टेनेबिलिटी, और वैश्विक सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।

एशियन पाम ऑयल अलायंस, सॉलिडरीडाड और SEA की भूमिका

समापन सत्र में तीनों प्रमुख संस्थाओं ने पारदर्शिता, तथ्य-आधारित संवाद, टिकाऊ कृषि, और दीर्घकालिक खाद्य तेल सुरक्षा की दिशा में अपने-अपने प्रयासों को और सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई।

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