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MIT-WPU के शोधकर्ताओं ने विकसित किया नया हाइब्रिड नैनोफ्लूइड कूलिंग सिस्टम, EV बैटरी में आग लगने का जोखिम होगा कम

पुणे । इलेक्ट्रिक वाहनों में बढ़ रही बैटरी ओवरहीटिंग और आग की घटनाओं के बीच MIT वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी (MIT-WPU), पुणे के शोधकर्ताओं ने एक महत्वपूर्ण तकनीकी उपलब्धि हासिल की है। संस्थान ने “सिस्टम फॉर थर्मल मैनेजमेंट ऑफ बैटरी ऑफ व्हीकल” नाम से पेटेंट किया गया एक हाइब्रिड पैसिव नैनोफ्लूइड कूलिंग सिस्टम विकसित किया है, जो भारतीय तापमान परिस्थितियों में EV बैटरियों को अधिक सुरक्षित रखता है।

हीट पाइप + नैनोफ्लूइड तकनीक: बिना पंप-पंखे के चलता है पूरा सिस्टम

MIT-WPU की शोध टीम डॉ. वैभव देशमुख, डॉ. एस. राधाकृष्णन और डॉ. वैदेही देशमुखने एक ऐसे कूलिंग आर्किटेक्चर का विकास किया है, जिसमें उच्च क्षमता वाले हीट पाइप्स और थर्मली कंडक्टिव विशेष नैनोफ्लूइड्स का उपयोग किया गया है। यह सिस्टम न तो पंप की जरूरत रखता है और न ही किसी बाहरी बिजली की। यह नेचरल कन्वेक्शन और फेज़-चेंज कूलिंग पर आधारित है, जिससे बैटरी के हॉटस्पॉट से गर्मी तेजी से बाहर निकलती है।

दो-पहिया EV के लिए क्रांतिकारी समाधान

छोटा आकार, ऊर्जा-कुशल संरचना और स्केलेबल डिजाइन इस तकनीक को दो-पहिया इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए विशेष रूप से उपयोगी बनाता है। यह न केवल बैटरी के तापमान को स्थिर रखता है, बल्कि बैटरी की लाइफ बढ़ाता है, चार्जिंग दक्षता सुधरता है, ओवरहीटिंग और आग के जोखिम कम करता है, रखरखाव लागत घटाता है।

शोधकर्ताओं की प्रतिक्रिया: सुरक्षा और विश्वसनीयता पर जोर

डॉ. वैभव देशमुख ने कहा कि भारत जैसे उच्च तापमान वाले देशों में EV बैटरी की सबसे बड़ी चुनौती प्रदर्शन नहीं, बल्कि सुरक्षा है। हमारा पैसिव कूलिंग सिस्टम बैटरी को सुरक्षित तापमान में रखकर विश्वसनीयता बढ़ाता है।

डॉ. राधाकृष्णन के अनुसार हमने सक्रिय यांत्रिक भागों को हटाकर एक ऐसा समाधान तैयार किया है जो अधिक विश्वसनीय है और अत्यधिक तापमान में भी सुरक्षित रहता है। । डॉ. वैदेही देशमुख ने बताया नैनोफ्लूइड + हीट पाइप संरचना थर्मल हॉटस्पॉट को खत्म करती है और ऊर्जा खपत शून्य के बराबर करती है।”

EV थर्मल मैनेजमेंट सिस्टम का तेज़ी से बढ़ता बाजार

रिपोर्टों के अनुसार वैश्विक BTMS बाजार 2024 में USD 5.41 बिलियन से बढ़कर
2030 तक USD 29.09 बिलियन पहुँचने का अनुमान है। भारत में EV बैटरी कूलिंग बाजार 2025 में USD 138 मिलियन से
2034 तक USD 470 मिलियन तक पहुँच सकता है। EV अपनाने की दर बढ़ने के साथ भारत में थर्मल सुरक्षा की जरूरत और भी अहम हो गई है।

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