हस्तकला सेतु योजना को गुजरात चैप्टर में हस्तशिल्प के प्रचार और टैगिंग के लिए GI एक्सीलेंस अवॉर्ड मिला

अहमदाबाद: हस्तकला सेतु योजना, जो कि गुजरात सरकार के कुटीर एवं ग्रामीण उद्योग आयुक्तालय (CCRI) की एक पहल है और जिसे भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान (EDII), अहमदाबाद द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है, को ‘GI एक्सीलेंस अवॉर्ड – गुजरात चैप्टर’ से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान हस्तशिल्प के प्रचार-प्रसार और भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication – GI) टैगिंग में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रदान किया गया। यह पुरस्कार 18 जुलाई 2025 को आयोजित कॉन्फ्रेंस ‘आर्थिक विकास, सांस्कृतिक संरक्षण और वैश्विक पहचान के लिए जीआई का उपयोग’ (Leveraging GI for Economic Growth, Cultural Preservation, and Global Recognition) के दौरान प्रदान किया गया, जिसका आयोजन बौद्धिक संपदा प्रतिभा खोज परीक्षा (Intellectual Property Talent Search Examination) और गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।
यह सम्मान गुजरात की पारंपरिक हस्तकलाओं के संरक्षण, शिल्पकारों को टिकाऊ आजीविका के निर्माण में समर्थन देने, तथा उनकी विशिष्ट कला को संरक्षित रखते हुए उन्हें बदलते बाजारों में नए अवसर दिलाने के प्रति इस परियोजना की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
गुजरात के हथकरघा और हस्तकला क्षेत्रों को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से विकसित की गई, हस्तकला सेतु योजना एक समग्र कार्यक्रम है, जो राज्य के ग्रामीण और कुटीर उद्योगों को सशक्त बनाने के लिए उद्यमिता आधारित पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इसके साथ ही, यह योजना ग्रामीण शिल्पकारों के लिए कौशल, डिज़ाइन और बाज़ार से जुड़ाव की खाई पाटने की दिशा में भी सक्रिय रूप से कार्य कर रही है।
सितंबर 2020 में छह ज़िलों से आरंभ हुई हस्तकला सेतु योजना ने निरंतर विस्तार करते हुए आज गुजरात के सभी 33 ज़िलों को कवर कर लिया है, और अब तक 34,000 से अधिक शिल्पकारों तक पहुंच बनाई है। संरचित प्रशिक्षण मॉड्यूल, डिज़ाइन हस्तक्षेप, ब्रांडिंग मार्गदर्शन, और डिजिटल मार्केटिंग में सहयोग के माध्यम से EDII ने 11,000 से अधिक शिल्पकारों को अनौपचारिक प्रणाली से निकलकर औपचारिक उद्यमों के रुप में विकसित होने में सहायता की है साथ ही, कई शिल्पकारों को अपने उत्पादों को भौगोलिक संकेतक (GI) फ्रेमवर्क के तहत पंजीकृत कराने में सहयोग प्रदान किया गया है, जिनकी संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है, ताकि वे अपनी पारंपरिक कलाओं के सांस्कृतिक और आर्थिक मूल्य की पहचान और सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें।
इस उपलब्धि पर बोलते हुए, गुजरात सरकार के कुटीर एवं ग्रामीण उद्योग विभाग की सचिव एवं आयुक्त सुश्री अर्द्रा अग्रवाल (IAS) ने कहा: “गुजरात की पारंपरिक कलाएं हमारे लोगों और समुदायों की पहचान में गहराई से रची-बसी हैं। ‘हस्तकला सेतु योजना’ के माध्यम से हमारा प्रयास केवल इन परंपराओं को संरक्षित करने का नहीं, बल्कि शिल्पकारों को आज के बदलते बाज़ारों में सफल बनाने का भी रहा है। GI एक्सीलेंस अवॉर्ड हमारे लिए गर्व का क्षण है; यह सरकार की शिल्पकार-केन्द्रित विकास प्रतिबद्धता को मान्यता देता है। हम उन सभी शिल्पकारों, मेंटर्स और साझेदारों — विशेष रूप से EDII — की सराहना करते हैं जो इस दृष्टिकोण को निष्ठा के साथ आगे बढ़ा रहे हैं।”
EDII के महानिदेशक डॉ. सुनील शुक्ला ने कहा: “हस्तकला सेतु योजना को वास्तव में प्रभावशाली बनाने वाली बात यह है कि यह शिल्पकारों की जमीनी वास्तविकताओं से गहराई से जुड़ी हुई है। यह योजना उन्हें केवल कौशल नहीं देती, बल्कि यह भी सिखाती है कि अपनी विरासत को कैसे संरक्षित करें, उद्यमिता कौशलों का उपयोग कैसे करें, डिजिटल टूल्स कैसे अपनाएं, और एक सफल उद्यमी के रूप में कैसे आगे बढ़ें। भौगोलिक संकेतक (GI) उनके कार्य को बाज़ार में वह पहचान और सम्मान दिलाने में अहम भूमिका निभाते हैं, जिसके वे वास्तव में हकदार हैं। EDII में हमें गर्व है कि हम इन शिल्पकारों के इस सफर में सहभागी हैं — एक ऐसा सफर जो उनके शिल्प की रक्षा करता है और साथ ही उनके लिए एक टिकाऊ और समृद्ध भविष्य भी निर्मित करता है। यह पुरस्कार हमें प्रेरित करता है कि हम इस मॉडल को और भी अधिक समुदायों तक पहुंचाएं।”
परियोजना का GI घटक विशेष रूप से प्रभावशाली रहा है, क्योंकि इसके माध्यम से तंगलिया, रोगन कला, कच्छ कढ़ाई, और माता नी पछेड़ी जैसे पारंपरिक स्थानीय शिल्पों को सुरक्षित और उच्च-मूल्य उत्पादों के रूप में देश और विदेश दोनों बाज़ारों में पुनःस्थापित किया गया है। यह परियोजना ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर ऑनबोर्डिंग, प्रदर्शनियों, और शिल्पकारों के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए प्लेटफार्मों के माध्यम से बाज़ार तक पहुंच को मजबूत बनाती है। इसका प्रत्यक्ष परिणाम यह रहा है कि समर्थित शिल्पकारों ने सामूहिक रूप से ₹100.10 करोड़ से अधिक का राजस्व उत्पन्न किया है, जिससे उनकी आय और आजीविका में स्पष्ट सुधार देखने को मिला है।
हस्तकला सेतु योजना ने उन पारंपरिक कलाओं को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही थीं। इसने युवाओं को अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करना सिखाया है और गुजरात को शिल्पकार-समर्थक नीतियों और नवाचार के माध्यम से अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित किया है। स्थानीय स्तर पर केंद्रित सहयोग के साथ, यह परियोजना दर्शा रही है कि सांस्कृतिक विरासत न केवल सम्मान और गर्व का स्रोत बन सकती है, बल्कि हज़ारों शिल्पकारों के लिए टिकाऊ आजीविका का साधन भी बन सकती है।
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