कोलंबो। दक्षिण एशिया के समुद्री व्यापार के मानचित्र पर एक ऐतिहासिक बदलाव दर्ज हो गया है। श्रीलंका के कोलंबो वेस्ट इंटरनेशनल टर्मिनल (CWIT) ने वर्ष 2025 के पहले नौ महीनों में देश का सबसे बड़ा विदेशी निवेश प्रोजेक्ट बनकर नया रिकॉर्ड कायम किया है। यह विशाल बंदरगाह अडानी ग्रुप, जॉन कील्स होल्डिंग्स पीएलसी, और श्रीलंका पोर्ट्स अथॉरिटी (SLPA) की संयुक्त साझेदारी में तेजी से विकसित हो रहा है।
श्रीलंका के बोर्ड ऑफ इन्वेस्टमेंट (BOI) के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार जनवरी से सितंबर 2025 के बीच देश में कुल विदेशी निवेश 827 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 138% अधिक है। इसमें अकेले कोलंबो वेस्ट इंटरनेशनल टर्मिनल प्रोजेक्ट में 229 मिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष निवेश हुआ है। यह प्रोजेक्ट कागज़ी घोषणाओं तक सीमित नहीं, बल्कि ज़मीन पर बन रहा वास्तविक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है जो श्रीलंका की आर्थिक पुनर्बहाली की नई कहानी लिख रहा है।
पहले कुछ विशेषज्ञों ने कहा था कि अडानी ग्रुप का श्रीलंका में निवेश जोखिम भरा हो सकता है, लेकिन अब वही आंकड़े बता रहे हैं कि यह प्रोजेक्ट श्रीलंका के आर्थिक पुनर्जीवन की मजबूत नींव बन गया है। इस पोर्ट के पूरी तरह संचालित होने के बाद कोलंबो बंदरगाह की क्षमता 3.2 मिलियन टीईयू (Twenty-foot Equivalent Units) तक बढ़ जाएगी, जिससे यह एशिया का एक प्रमुख ट्रांसशिपमेंट हब बनेगा।
यह परियोजना भारत और श्रीलंका के बीच क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग की मिसाल भी पेश कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “पड़ोसी पहले” नीति के तहत भारत न केवल श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में स्थिरता ला रहा है, बल्कि वहां रोज़गार सृजन और व्यापारिक आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा दे रहा है। कोलंबो पोर्ट प्रोजेक्ट वास्तव में एक विन-विन साझेदारी है, जहां श्रीलंका को विकास मिला और भारत को मिला बढ़ता सम्मान और रणनीतिक प्रभाव। यही है आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी भारत की पहचान।
अडानी ग्रुप का कोलंबो पोर्ट प्रोजेक्ट बना श्रीलंका का सबसे बड़ा विदेशी निवेश, 2025 में अर्थव्यवस्था को मिला नया बल
