
बीते दिन भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त तेजी देखने को मिली। Nifty 50 में 900 अंकों की उछाल दर्ज की गई, जो हाल के वर्षों की सबसे बड़ी छलांगों में से एक रही। 50 में से 48 शेयरों के भाव में बढ़त देखी गई, जिसमें इन्फोसिस सबसे टॉप पर रहा।
इस रिकॉर्डतोड़ उछाल का सबसे बड़ा लाभ अडानी ग्रुप (Adani Group) को मिला। Adani Enterprises और उससे जुड़ी अन्य कंपनियों ने एक ही दिन में लगभग 70 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति जोड़ ली। केवल Adani Enterprises के शेयर में ही 20 हजार करोड़ रुपये का उछाल आया, जिससे समूह के चेयरमैन गौतम अडानी की नेटवर्थ में ऐतिहासिक बढ़ोतरी हुई।
भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव और उसके बाद हुई सीजफायर डील के चलते बाजार में अस्थिरता थी। लेकिन जैसे ही सकारात्मक संकेत मिले, बाजार ने पलटी मारी और निवेशकों की भावनाओं में तेजी लौटी। इसी मौके को भुनाते हुए अडानी ग्रुप और अन्य कंपनियों ने तेजी से लाभ कमाया।
अडानी समूह की ही एक कंपनी, अल्फा डिज़ाइन टेक्नोलॉजीज (Alpha Design Technologies), जो रक्षा क्षेत्र में ड्रोन निर्माण करती है, उसके ड्रोन का उपयोग भारत-पाक ऑपरेशन “सिंदूर मिशन” में किया गया था। इससे भी अडानी की रक्षा क्षेत्र में पकड़ मजबूत हुई है।
इसी बीच भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) में 2.065 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई है, जिससे कुल भंडार अब 686.064 अरब डॉलर रह गया है (2 मई 2025 को समाप्त सप्ताह)। ये गिरावट वैश्विक बाजारों की अस्थिरता और विदेशी निवेश के बहाव से जुड़ी मानी जा रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना काल की तरह ही अब भी बड़े पूंजीपति संकट को अवसर में बदलने में सफल हो रहे हैं। जब आम आदमी की आय और रोजगार में गिरावट आती है, पूंजीवादी ताकतें अपनी रणनीति और संसाधनों के बल पर अपने साम्राज्य को और विस्तृत कर लेती हैं।
इस तेजी का असर सीमेंट कंपनियों पर भी दिखा, जिनके मार्केट कैपिटलाइज़ेशन में बड़ी छलांग आई।
निष्कर्ष:
जहाँ एक तरफ विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट और क्षेत्रीय तनाव चिंता का विषय हैं, वहीं दूसरी ओर अडानी ग्रुप जैसे बड़े कारोबारी घराने तेजी से उभरते हुए बाजार से अभूतपूर्व लाभ कमा रहे हैं। यह घटना भारतीय शेयर बाजार की ताकत, लेकिन साथ ही आर्थिक असमानता की वास्तविकता को भी उजागर करती है।