मणिपाल अस्पताल, मुकुंदपुर में 69 वर्षीय महिला को मिली नई ज़िंदगी, दुर्लभ रक्त रोग के बावजूद सफल लीडलैस पेसमेकर प्रत्यारोपण

कोलकाता के टालीगंज की 69 वर्षीय सुनीता रॉय (नाम परिवर्तित) को गंभीर हृदय और रक्त संबंधी समस्याओं से जूझने के बाद मणिपाल अस्पताल, मुकुंदपुर के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने नया जीवन दिया है। अस्पताल में देश की उन्नत चिकित्सा तकनीक का उपयोग करते हुए उनका लीडलैस पेसमेकर (Leadless Pacemaker) सफलतापूर्वक लगाया गया, जो पारंपरिक पेसमेकर की तुलना में अधिक सुरक्षित, टिकाऊ और कम संक्रमण-जोखिम वाला होता है।
सुनीता रॉय पिछले कई महीनों से बार-बार बेहोश हो जाने की समस्या से पीड़ित थीं। जांच में पता चला कि उन्हें पैंसाइटोपीनिया (Pancytopenia) नामक दुर्लभ रक्त विकार है, जिसमें शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं, श्वेत कोशिकाएं और प्लेटलेट्स सभी की कमी हो जाती है। यह समस्या लिवर सिरोसिस (Liver Cirrhosis) और हाइपरस्प्लेनिज़्म (Hypersplenism) के कारण उत्पन्न हुई थी। ऐसी स्थिति में सामान्य पेसमेकर लगाना बेहद जोखिमपूर्ण होता है।
डॉ. सौम्य पात्रा, कंसल्टेंट और इंचार्ज, कार्डियोलॉजी विभाग ने बताया कि सुनीता रॉय को सिक साइनस सिंड्रोम (Sick Sinus Syndrome) था, जिसमें दिल की धड़कन बहुत धीमी हो जाती है। इस जटिलता को देखते हुए टीम ने लीडलैस पेसमेकर लगाने का निर्णय लिया, जो तारों के बिना सीधे दिल के अंदर प्रत्यारोपित किया जाता है।
डॉ. पात्रा के अनुसार रोगी की स्थिति गंभीर थी, लेकिन इस अत्याधुनिक तकनीक से न केवल खतरा टला, बल्कि ऑपरेशन के अगले ही दिन मरीज पूरी तरह सामान्य होकर घर लौट आईं।
मणिपाल अस्पताल मुकुंदपुर की यह सफलता साबित करती है कि अस्पताल हृदय रोग उपचार और आधुनिक चिकित्सा तकनीक के क्षेत्र में लगातार अग्रणी भूमिका निभा रहा है। यह केस मेडिकल साइंस में एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि सही तकनीक और विशेषज्ञता से जटिल बीमारियों में भी जीवन की उम्मीद कायम रहती है।





