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तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन का सेना पर भड़कना, मुस्तफा कमाल के सैनिकों के नारे से नाराजगी

*इस्तांबुल*। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तय्यप एर्दोगन ने इजरायल के खिलाफ इस्लामिक देशों को एकजुट होने का आह्वान किया है, लेकिन हाल ही में उनके द्वारा तुर्की के संस्थापक मुस्तफा कमाल पाशा पर की गई टिप्पणी से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।

दरअसल, नए नियुक्त लेफ्टिनेंटों के एक समूह ने ग्रेजुएशन समारोह के दौरान तलवारें खींचते हुए “हम मुस्तफा कमाल के सैनिक हैं” का नारा लगाया। यह नारा आधुनिक तुर्की के धर्मनिरपेक्ष संस्थापक मुस्तफा कमाल अता तुर्क के सम्मान में दिया गया था, जिससे एर्दोगन नाराज हो गए।

एर्दोगन ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “ये तलवारें किसके खिलाफ उठाई जा रही हैं?” उन्होंने तुर्की सेना के राजनीतिक शोषण के खिलाफ चेतावनी दी और कहा कि सेना को कमजोर करने की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। एर्दोगन ने यह भी कहा कि इस मामले की जांच की जा रही है और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी, चाहे वह 30 लोग हों या 300।

एर्दोगन के शासन के दौरान तुर्की की राजनीति में धर्म का प्रभाव बढ़ा है, जिससे मुस्तफा कमाल द्वारा स्थापित धर्मनिरपेक्ष परंपराओं में बदलाव आया है। तुर्की की सेना ने लंबे समय से खुद को धर्मनिरपेक्षता का संरक्षक माना है और इसी के तहत कई बार तख्तापलट किए हैं। हालांकि, 2016 में एर्दोगन के खिलाफ तख्तापलट की कोशिश नाकाम रही थी, जिसके बाद हजारों लोगों को सेना और अन्य सरकारी संस्थानों से बर्खास्त कर दिया गया था।

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