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तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान ने पाकिस्तान को झटका देते हुए कश्मीर मुद्दे से किया किनारा

जेनेवा:* तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की वार्षिक बैठक में पाकिस्तान को बड़ा झटका दिया। इस बार एर्दोगान ने अपने भाषण में कश्मीर का कोई उल्लेख नहीं किया, जबकि 2019 से पहले तक वे हर साल इस मंच पर कश्मीर मुद्दे को उठाते थे। इस बार उन्होंने गाजा युद्ध पर जोरदार हमला किया, लेकिन कश्मीर पर चुप्पी साधे रखी। यह पहली बार है जब एर्दोगान ने यूएन में कश्मीर मुद्दे को नजरअंदाज किया है।

एर्दोगान का यह बदला हुआ रुख उस समय सामने आया है जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर और वहां के चुनावों पर बात करने की तैयारी में हैं। शहबाज शरीफ पहले ही न्यूयॉर्क पहुंच चुके हैं और अपने भाषण में कश्मीर, इस्लामोफोबिया और फिलिस्तीन के मुद्दों पर चर्चा करेंगे। गौरतलब है कि पिछले साल भी पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मुद्दा उठाते हुए इसे भारत और पाकिस्तान के बीच शांति का मुख्य आधार बताया था।

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर का मुद्दा उठाता रहा है, लेकिन उसे वैश्विक स्तर पर पर्याप्त समर्थन नहीं मिला। अब, एर्दोगान का इस मुद्दे पर चुप्पी साधना पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि तुर्की का यह बदला हुआ रुख उसकी ब्रिक्स सदस्यता की महत्वाकांक्षाओं से जुड़ा हो सकता है। तुर्की ब्रिक्स में शामिल होना चाहता है, और इसके लिए उसे भारत के समर्थन की आवश्यकता है। भारत की सहमति के बिना, तुर्की की ब्रिक्स में प्रवेश की संभावना कमजोर हो सकती है। यही वजह हो सकती है कि एर्दोगान ने कश्मीर पर अपने पूर्व रुख से किनारा कर लिया है।

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