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दुश्मन से बात करने में बुराई नहीं, लेकिन……

सर्वोच्च नेता खोमेनेई ने ऐसा क्यों कहा
तेहरान । इजरायल-हमास युद्ध और अपने राष्ट्रपति और कई अन्य अहम सैन्य अफसरों को खोने के बाद लगता है कि ईरान बैकफुट पर है। तभी ईरान अमेरिका के साथ बातचीत करना चाहता है। हालांकि, उसके सर्वोच्च नेता अयोतुल्लाह अली खामेनेई ने अपने राष्ट्रपति से कहा है कि वैसे अपने दुश्मन देश से बातचीत करने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। दरअसल, ईरान के राष्ट्रपति मसूद पाजेस्कियन की सरकार देश के परमाणु कार्यक्रमों को लेकर बार फिर अमेरिका से साथ बातचीत की संभावना देख रही है। राष्ट्रपति पाजेस्कियन की पहचान एक सुधारवादी नेता की है। यह देखकर सर्वोच्च नेता ने उनके सामने एक लक्ष्मण रेखा खींच दी है। वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की वजह से ईरान की अर्व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है।
इसके पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के समय 2015 में ईरान के साथ परमाणु समझौता हुआ था, इस समझौते को 2018 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने समाप्त कर दिया था। इस समझौते के खत्म होते ही फिर ईरानी पर गंभीर प्रतिबंध लगा दिए गए थे। इस वक्त अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहे हैं। वह नेतृत्व परिवर्तन होना है। अगले राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप और कमला हैरिस में से किसी एक का चुनाव हो सकता है। इसके बाद ईरान को एक नए नेतृत्व के साथ डील करना होगा। राष्ट्रपति पाजेस्कियन चाहते हैं कि ईरान पर प्रतिबंधों में कुछ ढील मिले। इसके लिए वह बातचीत का रास्ता तलाश रहे हैं। इसमें मध्य पूर्व के दो देश ओमान और कतर मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे हैं। एक दिन पहले ही कतर के प्रधानमंत्री ने ईरान का दौरा पूरा किया है।
ईरान से जुड़े सभी विदेशी मामलों में अंतिम फैसला खामेनेई लेते हैं। इस बीच ईरानी सरकार की बातचीत की पेशकश पर अमेरिका ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि हम हमेशा से कहते आ रहे हैं कि ईरान के विवादित परमाणु कार्यक्रम के स्थायी समाधान के लिए बातचीत ही एकमात्र जरिया है। लेकिन, मौजूदा स्थिति बहुत गंभीर है। ईरान तेजी से अपना परमाणु कार्यक्रम बढ़ा रहा है।

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