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सीरियल हत्यारों की कमी से अच्छे उपन्यास लिखना मुश्किल

अमेरिकी लेखक ने किया चौंकाने वाला दावा!
लंदन । एक उपन्यास लेखक ने यह कह कर चौंका दिया है कि सीरियल हत्यारों की कमी की वजह से अच्छे उपन्यास लिखना मुश्किल होता जा रहा है। मशहूर क्राइम राइटर हरलान कोबेन ऐसा ही मानते हैं अमेरिकी लेखक ने पागल हत्यारों के बारे में कई हिट रिलीज़ की हैं, जिन्हें फ़ूल मी वन्स और द स्ट्रेंजर सहित टीवी ड्रामा में बदल दिया गया है। उनका मानना है कि आधुनिक पुलिसिंग के कारण कहानियों के प्लॉट को यथार्थवादी बनाना मुश्किल होता जा रहा है। 62 वर्षीय कोबेन ने थिंक ट्वाइस नामक एक नया उपन्यास लिखा है।
उनका कहना है कि अब बहुत कम सीरियल किलर हैं। अमेरिका पहले उनसे भरा हुआ था। ऐसा नहीं है कि हम मानसिक रूप से स्वस्थ हो रहे हैं, यह पक्का है। लेकिन क्या सीरीयल किलर्स की कमी या उनका सुर्खियों में पहले की तरह ना रहना इस तरह के उपन्यासों की लोकप्रियता में कमी का अपने आप में संकेत तो नहीं है? कहीं ऐसा तो नहीं है कि कोबेन का यह बयान लोकप्रियता हासिल करने के लिए कौतूहल पैदा करने की कोशिश है। लेकिन सीरियल किलर्स की कमी के बारे में उन्होंने कहा कि बस इतना है कि अब किसी भी अपराधी का बच पाना वाकई मुश्किल है। हर किसी के पास फ़ोन है, हर किसी पर नजर रखी जा रही है, हर जगह सीसीटीवी है। “एक सीरियल किलर उपन्यास कैसे लिखा जाए जो मुझे पसंद आए और जो आज की दुनिया में काम आए, यह दिलचस्प है।” 1970 के दशक में अमेरिका में 300 ज्ञात सीरियल किलर थे, लेकिन 2010 तक इनकी संख्या मात्र 50 रह गई।
ब्रिटेन में भी ऐसा ही ट्रेंड देखा गया है। लेकिन एक सवाल यह भी है क्या क्राइम नॉवेल की लोकप्रियता केवल समाज में हो रही आपराधिक घटनाओं की अधिकता पर ही निर्भर हैं? क्या लेखन के लिए केवल कल्पना ही काफी है या फिर असल जिंदगी में होने वाली घटनाएं भी प्रेरणा का काम करने के लिए जरूरी हैं। यह सवाल फिक्शन नॉवल यानी काल्पनिक उपन्यासों के बारे में ज्यादा पूछा जाता है जिनमें अपराध संबंधी कहानियों के साथ रोमांटिक कथाओं की ज्यादा मांग होती है। गुजरते समय से संबंधित लिखे गए उपन्यास काफी सुर्खियां बटोरते हैं और लोगों में कौतूहल पैदा करते हैं।

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