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पाकिस्तान में पोलियो अभियान को लेकर बढ़ती समस्याएँ: पोलियो वर्कर पर हमला, बच्चों में बढ़ रहे मामले

कराची: भारत और चीन जैसे देशों ने पोलियो को सफलतापूर्वक मात दे दी है, लेकिन पाकिस्तान में यह बीमारी अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। पोलियो दवा के प्रति फैले अंधविश्वास के कारण खैबर पख्तूनख्वा, सिंध और बलूचिस्तान में पोलियो वर्कर्स पर हमले बढ़ गए हैं। हाल ही में सिंध प्रांत के जैकबाबाद में एक पोलियो वर्कर को किडनैप कर दुष्कर्म किया गया। पीड़ित वर्कर को बमुश्किल बचाकर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जिलाधिकारी जहूर मुर्री ने बताया कि पीड़िता की मेडिकल जांच चल रही है और दो संदिग्धों की पहचान कर ली गई है, जिन्हें जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा।

इसी तरह का एक और मामला खैबर पख्तूनख्वा के बजौर में सामने आया, जहां एक पोलियो वर्कर और उसकी सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी की हत्या कर दी गई। हमला तब हुआ जब वे ड्यूटी से लौट रहे थे और बाइक सवार दो लोगों ने उन पर फायरिंग कर दी।

पाकिस्तान में पोलियो अभियान प्रभावित हो गया है और कई क्षेत्रों में पोलियो दवा के प्रति विरोध के कारण मामले बढ़ रहे हैं। 1990 के दशक में पाकिस्तान में सालाना लगभग 20 हजार पोलियो केस रिपोर्ट होते थे, जो 2018 में घटकर 8 रह गए थे। लेकिन इस साल अब तक 17 मामले सामने आ चुके हैं, जबकि पिछले साल केवल 6 मामले थे।

पाकिस्तान में पोलियो के प्रति इतना विरोध क्यों है? इसका कारण कट्टर इस्लामिक समूह और तालिबान जैसे आतंकी संगठनों का प्रचार है, जो पोलियो वैक्सीन को पश्चिमी देशों का एक हथियार मानते हैं और इसे मुसलमानों के खिलाफ बताते हैं। इसके अलावा, कुछ मौलवियों द्वारा इसे गैर-इस्लामिक भी घोषित किया गया है।

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