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ढाका में हिंदू समुदाय का प्रदर्शन: सुरक्षा और अल्पसंख्यक अधिकारों की मांग

ढाका।* बांग्लादेश में हिंदू समुदाय ने अपनी सुरक्षा और अधिकारों की मांग को लेकर ढाका और चटगांव में हजारों की संख्या में सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने सरकार से अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की। बारिश के बावजूद, उन्होंने आठ सूत्रीय मांगों वाले पोस्टर हाथ में लिए प्रदर्शन जारी रखा और हमलावरों को फास्ट-ट्रैक ट्रिब्यूनल के माध्यम से सजा दिलाने की अपील की।

**अल्पसंख्यक अधिकारों की मांगें**

चटगांव में हिंदू समुदाय ने अल्पसंख्यक मामलों के लिए एक अलग मंत्रालय बनाने और अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित सीटों की व्यवस्था करने जैसी कई मांगे सरकार के सामने रखीं। प्रदर्शन में महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और जमाल खान क्षेत्र में दोपहर 3 बजे से प्रदर्शन किया। उन्होंने अपने आप को बांग्लादेश का मूल निवासी बताते हुए कहा कि वे इस भूमि को नहीं छोड़ेंगे और अपनी सुरक्षा के लिए लड़ाई जारी रखेंगे।

**ढाका में भी बड़े पैमाने पर प्रदर्शन**

ढाका में भी प्रदर्शनकारियों ने ऐतिहासिक शाहबाग चौराहे पर शाम 4.30 बजे के करीब जमा होकर सरकार से सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की। सनातनी अधिकार आंदोलन के बैनर तले आयोजित इस प्रदर्शन में कई हिंदू संगठनों ने हिस्सा लिया। प्रदर्शनकारियों ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे हमलों का जिक्र करते हुए मुआवजा, पुनर्वास और एक अलग अल्पसंख्यक संरक्षण अधिनियम की मांग की।

**मीडिया और प्रशासन पर नाराजगी**

प्रदर्शनकारियों ने मुख्यधारा के मीडिया की भूमिका पर भी नाराजगी जताई, क्योंकि उनकी आवाज प्रमुख मीडिया आउटलेट्स में नहीं सुनाई दे रही है। उन्होंने प्रशासन से “प्रोथोम अलो” जैसी रिपोर्टों पर ध्यान देने की अपील की, जो अल्पसंख्यकों पर हमलों की जानकारी देती हैं।

**सरकारी बयान और हिंदू समुदाय की प्रतिक्रिया**

दो दिन पहले, बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने अपने टेलीविजन संबोधन में कहा था कि किसी को भी धार्मिक सद्भाव को ठेस पहुंचाने वाला काम नहीं करना चाहिए। इसके बाद, हिंदू समुदाय ने इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए अपने आंदोलन को तेज कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जब तक उनकी सभी मांगे पूरी नहीं होतीं, वे अपने घर वापस नहीं जाएंगे।

इस विरोध प्रदर्शन ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के मुद्दों को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है। अब देखना यह है कि सरकार इन मांगों पर क्या कदम उठाती है।

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