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हमें सरकार पर भरोसा नही

Manipur government is providing temporary houses to the people;
Imphal / Manipur : मणिपुर में जारी हिंसा को 3 महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। राहत शिविरों में रह रहे लोगों का सब्र टूटने लगा है। सरकार लोगों को अस्थाई घरों में भेज रही है। लोगों को डर है कि अगर वे सरकार के दिए जा रहे अस्थाई घरों में गए तो अपने घर नहीं लौट पाएंगे।
भारत-म्यांमार बॉर्डर से सटे मोरेह कस्बे के रहने वाले सनातंबी ने बताया कि राज्य सरकार हमारे घर बनाएगी, हमें भरोसा नहीं है। हमें इन राहत शिविरों में रहते हुए 3 महीने हो गए हैं और कितने वक्त तक हमें यहां रुकना पड़ेगा? हमारे लोगों को मारा गया है और अब हमें न्याय चाहिए। सनातंबी उन हजारों लोगों में से है, जिन्हें मणिपुर में 3 महीने से भी ज्यादा वक्त से चल रही हिंसा की वजह से घर छोडक़र राहत शिविर में रहना पड़ रहा है। अब लोग सरकार पर और व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
अपने घर वापस जाना चाहते हैं हिंसा पीडि़त
सनातंबी की तरह ही 24 साल की नगनथोईबी भी अपने घर लौटना चाहती है। नगनथोईबी ने बताया- 3 मई को चुराचांदपुर में मेरे घर में भी आग लगा दी गई थी। वहां से हमें जान बचाकर भागना पड़ा। कुछ भी सामान साथ नहीं ला पाए। हमने अपना सब कुछ खो दिया है। हमारा परिवार अब इन अमानवीय हालातों में नहीं रहना चाहते और अपने घर लौटना चाहते हैं नगनथोईबी ये भी कहती हैं कि हमें सरकार पर भरोसा नहीं है। हमें नहीं पता कि हमें कब तक इन टेम्परेरी लोकेशन (अस्थाई घरों) में रहना पड़ेगा। सरकार के दिलासों से थक चुके हैं। हमें कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही। इनगोबी सिंह (75) ने बताया- मैं मोरेह स्थित अपने घर लौटना चाहता हूं। रेवेन्यू कलेक्शन के मामले में मोरेह, इंफाल के बाद दूसरे नंबर पर आता था। अगर ये हिंसा जारी रही तो देश को बड़ा नुकसान होगा। मणिपुर के हालात के लिए भाजपा सरकार जिम्मेदार है। मोरेह में 10 साल से नगर समिति चुनाव नहीं हुए। यहां रह रहे पंजाबी और मारवाड़ी पहले ही शहर छोड़ चुके थे। अब हिंसा के बाद तमिल लोगों ने भी मोरेह छोड़ दिया है। वहीं, चुराचांदपुर के रहने वाले राजेन हुईराम राज्य में जल्द शांति बहाल करने की अपील करते हुए कहते हैं- हम कब तक ऐसे ही सहते रहेंगे। अब अपने घर वापस लौटना चाहते हैं।

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