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चाचा बुजुर्ग हो चुके हैं रिटायरमेंट लेकर हमारा मार्गदर्शन करे : अजीत पवार

मुंबई । महाराष्ट्र की सियासत में बुधवार का दिन शरद पवार और अजित पवार के लिए बेहद अहम था। हर कोई यह दावा कर रहा था कि उसके पास सबसे ज्यादा विधायक हैं। लेकिन बैठक में पहुंचे विधायकों के आंकड़े को देखकर कहा जा सकता है कि भजीजे अजित ने शरद पवार को राजनीति की बिसात पर फिलहाल परास्त कर दिया है। अजित के साथ बैठक में वर्तमान में 32 विधायक मौजूद हैं, जबकि वाईबी चव्हाण सेंटर में शरद गुट में अभी 16 विधायक मौजूद हैं। आखिरकार 24 साल बाद भतीजे अजित ने अपने चाचा से राष्ट्रवादी कांग्रेस यानी एनसीपी छीन ली।

बुधवार को हुए शक्ति प्रदर्शन के दौरान नंबर गेम में अजित अपने चाचा पर भारी दिख रहे हैं। अजित पवार की बैठक में 32 विधायक पहुंचे, जबकि शरद गुट में सिर्फ 16 विधायक मौजूद रहे। मंच पर मौजूद छगन भुजबल ने दावा किया कि उनके पास मीटिंग में शामिल नहीं होने वाले कई विधायकों की ओर से दिया गया शपथ पत्र मौजूद है।

उन्होंने विधायकों को भरोसा दिया कि उन्हें किसी नियम के आधार पर अयोग्य घोषित नहीं किया जा सकता है क्योंकि अजित ने फैसले से पहले कानूनी प्रक्रिया पूरी कर ली थी। अपने भाषण में 45 साल पुरानी घटना का जिक्र करते हुए भुजबल ने शरद को याद दिलाई कि आप वसंत दादा पाटिल को छोड़कर आए थे, तब उन्हें भी बुरा लगा होगा।

एनसीपी नेता और मंत्री पद शपथ लेने वाले धनंजय मुंडे ने कहा कि अजित पवार ने मुंबई के बांद्रा इलाके के एमईटी ग्राउंड में बैठक बुलाई है। इस दौरान मंच से धनंजय मुंडे ने कहा कि अजित पवार का अब तक का सबसे ज्यादा अपमान हुआ है। अजित दादा की अब तक काफी आलोचना हो चुकी है। लेकिन उन्होंने यह अपमान सहा है।

उन्होंने अपनी परछाई को भी उस अपमान का एहसास नहीं होने दिया। मुंडे ने कहा कि उन्होंने शरद पवार साहेब के लिए सब कुछ सहा। मुंबई में हो रही अजित गुट की बैठक में उनके दोनों बेटे पार्थ पवार और जय पवार भी मौजूद हैं। अजित पवार ने कहा कि अब तक हम सब शरद पवार की छाया में थे लेकिन हमारा अपना भी एक व्यक्तिगत मत है। हमें शिवराय के सपने को साकार करना है।

शरद पवार पर तंज कसते हुए अजित ने कहा कि सरकारी नौकरी हो या पॉलिटिक्स रिटायरमेंट की एक उम्र होती है। आपको भी मार्गदर्शन करना चाहिए और आशीर्वाद देना चाहिए। अजित ने कहा कि हमारे वरिष्ठ ने कहा कि साल 2024 में नरेंद्र मोदी ही सत्ता में आएंगे। जब देश में मोदी के सिवाय कोई विकल्प नहीं है, तब उन्हें समर्थन देने में क्या दिक्कत है।

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