जैसा कि हम सभी जानते हैं, माध्यमिक विद्यालयों में हिंदी, संस्कृत, और विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षकों के पद समाप्त हो चुके हैं। यह स्थिति गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि हिंदी हमारी मातृभाषा है, संस्कृत हमारी जननी भाषा है, और विज्ञान बच्चों की तार्किक सोच का आधार है।
हाल ही में ऑनलाइन स्थानांतरण के आवेदन भरवाए गए, लेकिन इनमें इन विषयों के लिए कोई रिक्ति नहीं मिली। माध्यमिक विद्यालयों में पदस्थ इन विषयों के शिक्षक अब अतिशेष की स्थिति में हैं और उन्हें विभाग द्वारा कोई स्पष्ट दिशा नहीं मिल रही है। यह स्थिति शिक्षकों के लिए अपमानजनक है और उनके भविष्य को अनिश्चितता में डाल रही है।
माध्यमिक स्तर तक बच्चों की नींव मजबूत करने की आवश्यकता होती है। यदि उनके कॉन्सेप्ट इस स्तर तक स्पष्ट नहीं हैं, तो आगे चलकर उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यह गंभीर चिंता का विषय है कि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इस स्थिति के चलते आने वाले समय में दसवीं के बाद विज्ञान जैसे विषय को छात्र अपनाना बंद कर सकते हैं, क्योंकि उन्हें आठवीं तक विज्ञान किसी अन्य विषय के शिक्षक द्वारा पढ़ाया गया है।
जो शिक्षक हिंदी, विज्ञान, और संस्कृत विषय से स्नातक हैं और माध्यमिक स्तर तक शिक्षण के लिए सुयोग्य हैं, उनका भविष्य भी खतरे में है। ऑनलाइन स्थानांतरण नीति के तहत उन्हें यह बात स्पष्ट हो गई है।
माध्यमिक विद्यालयों में मूल पद संरचना अंग्रेजी, गणित और सामाजिक विज्ञान के शिक्षकों की है। इसका मतलब है कि सामाजिक विज्ञान का शिक्षक ही हिंदी और संस्कृत पढ़ाएगा, और गणित का शिक्षक विज्ञान पढ़ाएगा। यह एक कामचलाऊ नीति है जो शिक्षा प्रणाली को कमजोर कर रही है। इसका सीधा अर्थ है कि भविष्य में बच्चों को हिंदी, संस्कृत, और विज्ञान विषयों की आवश्यकता नहीं होगी।
यह एक खतरनाक परिवर्तन है जो बच्चों की नींव को अंदर से कमजोर कर देगा। सरकारी स्कूल के बच्चे विज्ञान और भाषा के सही ज्ञान से दूर होते जाएंगे। इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है।
इस मुद्दे पर जागरूकता और समाधान की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है। अधिक जानकारी और अपडेट के लिए हमारे साथ बने रहें।