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अति पिछड़ी जातियों को बिहार की तर्ज पर अति पिछड़ा वर्ग में शामिल किया जाए:  अरुण वर्मा

आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से कमजोर समाज को मिलेगा अधिकारों और अवसरों का लाभ

भोपाल । अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता अरुण वर्मा ने आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से अत्यंत पिछड़ी जातियों को बिहार राज्य की तर्ज पर ‘अति पिछड़ा वर्ग’ घोषित करने की मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में घोषित पिछड़ा वर्ग की कई जातियाँ, जैसे नाई, बारी, कहार, सिंगरहा, ढीमर आदि वास्तविक रूप से अत्यंत पिछड़ी हैं, जिनकी आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति बेहद कमजोर है।

अत्यंत गरीबी और शिक्षा की कमी बड़ी बाधा

अरुण वर्मा ने बताया कि इन जातियों के अधिकांश लोग अत्यंत गरीबी की वजह से शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते। इसके कारण ये आज भी परंपरागत व्यवसाय, मजदूरी या छोटे-मोटे कार्यों के माध्यम से ही जीवनयापन करने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में इन जातियों को अति पिछड़ा वर्ग घोषित किए जाने के बाद उनकी शिक्षा और आर्थिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, इसलिए पूरे देश में भी यह व्यवस्था लागू होनी चाहिए।

प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अपील

राष्ट्रीय प्रवक्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अनुरोध किया है कि पिछड़ा वर्ग में शामिल इन आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से कमजोर जातियों को बिहार की तरह अति पिछड़ा वर्ग में सम्मिलित किया जाए। इससे उन्हें उचित प्रतिनिधित्व, शैक्षणिक अवसरों और सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि यह कदम इन समुदायों को मुख्यधारा में लाने, उनकी सामाजिक स्थिति मजबूत करने और पीढ़ियों से चली आ रही पिछड़ेपन की समस्या को दूर करने में निर्णायक साबित होगा।

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