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सिंघल आयोग रिपोर्ट के क्रियान्वयन की मांग पर कर्मचारी मंच का जोर

भोपाल। मध्य प्रदेश के लगभग साढ़े 7 लाख कर्मचारियों की वेतन विसंगति और अधिकारों में असमानता को दूर करने के उद्देश्य से गठित जी पी सिंघल आयोग की रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी गई है। हालांकि, राज्य सरकार ने अब तक इस रिपोर्ट को लागू नहीं किया है, जिससे कर्मचारियों में असंतोष व्याप्त है। इस संबंध में कर्मचारी मंच ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि इस रिपोर्ट को लागू करने से पहले कर्मचारी संघ के साथ चर्चा की जाए।

मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष अशोक पांडे ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि प्रदेश के 7 लाख कर्मचारियों में से 2 हजार संवर्ग के कर्मचारियों के वेतन में विसंगति है, जिसमें से 1 हजार कर्मचारियों के वेतन में पिछले 36 साल से विसंगति चली आ रही है। यदि सिंघल आयोग की रिपोर्ट लागू की जाती है, तो 5 लाख कर्मचारियों को प्रति माह 12 हजार से 60 हजार रुपये तक का लाभ होगा।

स्टेनोग्राफरों और लिपिकों के वेतनमान में सबसे अधिक विसंगति पाई गई है। मंत्रालय के स्टेनोग्राफरों को 1 जनवरी 1996 से सभी विभागों के स्टेनोग्राफरों से अधिक वेतनमान दिया जा रहा है। मंत्रालय, पुलिस विभाग और वित्त विभाग के स्टेनोग्राफरों को 5500 + 9000 का वेतनमान दिया जा रहा है, जबकि विभागाध्यक्ष और कलेक्टर कार्यालय के स्टेनोग्राफरों को 4500 + 7000 का वेतनमान मिल रहा है। लिपिकों और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के वेतनमान में 1984 से विसंगति बनी हुई है।

मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री ने आश्वासन दिया है कि राज्य सरकार को जी पी सिंघल आयोग की रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है और इसका शीघ्र परीक्षण कर मंत्रिपरिषद में अनुमोदन कर इसे लागू किया जाएगा।

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