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गोहद को ‘श्रीकृष्ण गमनपथ’ में शामिल करने और ऐतिहासिक धरोहरों के पुनर्निर्माण की मांग

भिंड । भिंड जिले की गोहद तहसील, जो प्राचीन काल से अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध रही है, को ‘श्रीकृष्ण गमनपथ’ में शामिल करने और यहां की पुरानी धरोहरों के पुनर्निर्माण की मांग उठाई जा रही है।

गोहद का प्राचीन नाम ‘गौहद’ था, जो कि ‘गौ माता की हद’ को दर्शाता है। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण मथुरा-वृंदावन से गायों को चराते हुए यहां तक आते थे। इसके प्राचीन प्रमाण आज भी गोहद नगर में स्थित विभिन्न मंदिरों और स्थानों में देखे जा सकते हैं। यहां के प्रमुख मंदिरों में मदनमोहन जी का मंदिर, रघुनाथ जी मंदिर, कालियाकंथ जी का मंदिर और राजगुरु की जग्गा नामक स्थल शामिल हैं।

इतिहास के अनुसार, बड़ा बाजार गोहद में स्थित मानिक चौक कभी यहां के राजा राणाओं द्वारा जवारत का बाजार हुआ करता था। हालांकि, इतनी ऐतिहासिक महत्ता के बावजूद गोहद नगर का विकास आज भी अपेक्षित स्तर पर नहीं हो पाया है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों की ओर से भी विकास के प्रयासों में कमी देखी गई है।

व्यवस्था परिवर्तन के संस्थापक पुखराज भटेले ने इस मामले को उठाते हुए गोहद को ‘श्रीकृष्ण गमनपथ’ में शामिल करने और यहां की धरोहरों के पुनर्निर्माण की मांग की है। उनका मानना है कि इससे गोहद के ऐतिहासिक महत्व को संजोया जा सकेगा और नगर के विकास को गति मिलेगी।

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