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मध्यप्रदेश में आउटसोर्स नियुक्तियों पर विवाद: संविधान का पालन नहीं हो रहा : अनिल बाजपेई

भोपाल। सेमी गवर्नमेंट एम्प्लाइज फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष अनिल बाजपेई ने राज्य सरकार पर कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रिया में गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि शासकीय और अर्द्ध शासकीय संस्थानों में आउटसोर्सिंग के जरिए की जा रही भर्तियां न केवल आरक्षण नियमों का उल्लंघन कर रही हैं, बल्कि संविधान के प्रावधानों की भी अनदेखी हो रही है।

आउटसोर्स भर्तियों पर सवाल

अनिल बाजपेई ने बताया कि वाहन चालक और भृत्य जैसे पदों पर आउटसोर्सिंग एजेंसियों के माध्यम से की जा रही नियुक्तियों में आरक्षण नियमों का पालन नहीं हो रहा। उन्होंने इसे संविधान का उल्लंघन बताते हुए सीधी भर्ती प्रक्रिया में भी नियमों के पालन की मांग की।

मुख्यमंत्री से सीधी भर्ती की मांग

वरिष्ठ कर्मचारी नेता ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि:

1. आउटसोर्सिंग से भर्तियां रोकें – वाहन चालक और भृत्य की आउटसोर्स भर्तियों पर तत्काल रोक लगाई जाए।


2. नियमों का पालन सुनिश्चित करें – सभी पदों पर सीधी भर्ती संविधान के अनुसार और आरक्षण नियमों का पालन करते हुए की जाए।


3. नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता – सभी भर्तियों को पारदर्शी और संविधान सम्मत बनाया जाए।



कर्मचारियों में असंतोष

सरकारी और अर्द्ध सरकारी संस्थानों में हो रही इन भर्तियों को लेकर कर्मचारियों में रोष है। अनिल बाजपेई ने कहा कि सरकार को इन भर्तियों में पारदर्शिता लाने और आरक्षित वर्गों के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।

क्या कहती है कर्मचारी यूनियन?

सेमी गवर्नमेंट एम्प्लाइज फेडरेशन का कहना है कि यदि सरकार ने नियुक्तियों में संविधान और आरक्षण नियमों का पालन सुनिश्चित नहीं किया, तो बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

क्या आप भी सरकारी नियुक्तियों में पारदर्शिता चाहते हैं? अपने विचार कमेंट में साझा करें।

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