बहुत कठिन है डगर पनघट की, यह कहावत राजनीतिक दृष्टि से तोड़ा अलग शब्दों में है तोमर की कठिन है डगर विधानसभा की। मुरैना जिले की विधान सभा दिमनी पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। ओर हो भी क्यों नहीं क्यों कि यहां लाडले सुपुत्र और मुरैना लोकसभा से सांसद साथ की केंद्रीय पंचायत मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मैदान में है। इसे मोदी जी के द्वारा इनकी परीक्षा लेना कहा जाए या आगामी लोकसभा के मद्दे नजर अपने लोक प्रतिनिधि का क्षेत्र में और प्रदेश में जनता के बीच लोकप्रियता को देखना चाहने की वजह भी हो सकती है। वैसे चंबल संभाग का मुरैना जिला वर्षों से डकैतों के लिए अपनी खास पहचान रखता रहा है। लेकिन आज यह जिला दिमानी विधान सभा की बजाय से राजनीतिक अखाड़ा बन गया है। मध्यप्रदेश विधान सभा की तिथि घोषित होने के बाद से लोगों में जिज्ञासा रही की इस बार किसकी सरकार बनेगी। लेकिन बीजेपी के वरिष्ठ नेतृत्व को शायद पहले से ही आभास हो गया था कि इस बार सरकार बनाने का कठिन है। इस नाराजगी से निबटने और अपने कद्दावर मंत्री सांसदों जनता में प्रभाव देखने के लिए साथ सरकार बनाने तीन केंद्रीय मंत्री और 4 सांसदों को मैदान में उतारा। उन्ही में से एक हैं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर! जो प्रदेश में मुख्यमंत्री के दावेदार भी माने जाते हैं। उनके किसानों से जुड़ा विभाग है है और उन्होंने किसान आंदोलन में बढ़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, तो किसानों में लोकप्रिय हैं। जब से इन्हें विधान सभा चुनाव लडने के लिए टिकिट दिया गया है तभी से इनकी नींद गायब है। उसका कारण है हैं कि इन्होंने मंत्री रहते दिमनी विधानसभा में कभी दौरा ही नहीं किया और नहीं ही वहां की जनता से कभी मुरैना और दिल्ली निवास पर मुलाकात की। उन्होंने क्षेत्र की जनता को 4 दिन के इंतजार के बाद भी किसी से मिलना मुनासिब नहीं समझा। साथ दिमनी विधान सभा क्षेत्र में बढ़ी बढ़ी घटनाएं, हत्याकांड भी हुए। लेकिन पीड़ितों से मिलना तो दूर की बात है उन्हें सांत्वना देने की फुरसत नहीं मिली।
वहीं वर्तमान में इनके पुत्र देवेंद्र तोमर के करोड़ों के लेनदेन के दो वीडियो भी जनता के बीच पहुंच गए हैं। जो यह दर्शाता है कि मंत्री जी और उनके बेटे सिर्फ पास का लाभ लेते हुए अरबों रुपए बटोरते रहे। जब अरबों रुपए का खेल हो तो कौन जनता की परवाह करता है। नरेंद्र सिंह तोमर ने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें कभी विधान सभा का चुनाव लडना पड़ेगा वह भी दिमनी से। जहां पर उन्हें अपनी ही तोमर भाइयों से दो चार होना पड़ेगा और एक एक वोट के लिए दर दर भटकना पड़ेगा।
वर्तमान में नरेंद्र सिंह तोमर सिर्फ अपनी जमानत बचाने के लिए ही संघर्ष कर रहेंगे चुनाव जीतने की बात तो बहुत दूर है। केंद्रीय मंत्री तोमर धन, बल, और भी जो तरीके हैं उनके माध्यम से दूसरे नंबर पर आने की कोशिश कर रहे है। वैसे यह चुनाव प्रधान मंत्री के चेहरे पर लड़ा जा रहा है। तो इसे लोकसभा के लिए भी प्री टेस्ट मानकर ही यहां की जनता और राजनेतिक मान रहें हैं तो इस प्रकार से दi लोगों की इज्जत दाव पर लगी है। क्यों कि इसके बाद भी नरेंद्र तोमर का भविष्य राजनीति में तय होगा। इसलिए साहब केंद्रीय मंत्री के लिए कठिन है डगर विधानसभा की।